देश में 1 अक्टूबर से ही कपड़ा मंत्रालय नए सीजन की कपास की खरीदारी शुरू कर देता है. खबरों के मुताबिक देश के लगभग सभी मंडीयों में 1 लाख 80 हजार गांठ (1 गांठ मतलब 170 किलोग्राम) कपास की खरीददारी की जा चुकी है. इसके अलावा एक दिन की देश में खरीदारी की बात करें तो प्रतिदिन लगभग 1.50 से 1.60 गांठ कपास की खरीददारी हो रही है.
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स्पिनमिलों तथा छोटे यूनिटों की बात करें तो रोजाना कपास के 85000 गांठो की खपत प्रतिदिन है. बसंत लाल बनारसी दास लिमिटेड मुंबई के डाइरेक्टर का कहना है कि इस बार लगभग 20 लाख कपास की गाठों के निर्यात में कमी आएगी जबकि भारत पिछले साल के मुकाबले में कपास का आयत भारत 8-9 लाख गांठो का अधिक करेगा. देश में इस साल यानि 2018-19 में कपास का उत्पादन कम होकर 3.30 करोड़ गांठ तक होने के कयास लगाए जा रहे है.
अगर वहीं दक्षिण के राज्यों की बात करें तो कॉटन एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष अतुल.एस.गणात्रा बताते हैं कि कर्नाटक,आन्ध्र प्रदेश में भी इस बार कपास के उत्पादन में कमी देखने को मिली है. इससे पहले के सालों में तेलंगाना और आंध्रा प्रदेश में क्रमशः 2.50 ओर 50 हजार गांठ का उत्पादन हुआ था.
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गणात्रा के मुताबिक देश के सबसे ज्यादा कपास उत्पादित करने वाला राज्य गुजरात में भी इस साल पिछले साल की तुलना में 18 फीसद कपास कम हुआ है. चालू सीजन 2018-19 में गुजरात में 83.50 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है। जबकि पिछले साल 2017-18 में कपास का उत्पादन 101. 80 लाख गांठ रुई का उत्पादन हुआ था .