Dairy Farming: डेयरी फार्मिंग के लिए 42 लाख रुपये तक के लोन पर 33% तक की सब्सिडी, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया PM Kisan Yojana Alert: जिन किसानों का नाम लिस्ट से हटा, आप भी उनमें तो नहीं? अभी करें स्टेटस चेक Success Story: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से सफल गौपालक बने असीम रावत, सालाना टर्नओवर पहुंचा 10 करोड़ रुपये से अधिक! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 11 October, 2019 2:51 PM IST

फलों और सब्जियों का सड़ना या पकना एक बड़ी समस्या है. इन फलों और सब्जियों की ताजगी उपभोक्ताओं तक पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाती है. इसकी पीछे की मुख्य समस्या रेफ्रिजरेटेड ट्रकों या वैन की अनुपलब्धता और सभी स्थानों पर बिजली की खराब उपलब्धता है. कटी हुई फसलों के सड़ने से स्थानीय स्तर पर भी बर्बादी होती है, विशेष रूप से भारत जैसे देश के लिए, जिसमें 350 मिलियन से अधिक गरीब लोग हैं, जो एक दिन में दो वक्त का  भोजन का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.भारत विभिन्न कारणों से अपनी कुल फसल उत्पादन का लगभग 38 फीसद हर साल खो देता है, जिनमें मुख्य कारण एक कुशल बाजार लिंकेज प्रणाली की कमी के साथ-साथ बड़े पैमाने पर जलवायु के अनुकूल भंडारण करने के स्थान की अनुपस्थिति से है. यह भारतीय किसानों के एक बड़े हिस्से की आय को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.

बता दे कि सौर ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि के साथ, कई भारतीय कंपनियों ने भंडारण कमरे और क्यूबिकल विकसित किए हैं, जो सौर ऊर्जा द्वारा संचालित हैं. जो फसल के जीवन को लगभग 10 गुना बढ़ाने के साथ ही किसानों की आय में भी बढ़ोतरी करते हैं. भारत में कोल्ड स्टोरेज में कुल खर्च का लगभग 28-30 प्रतिशत ऊर्जा खर्च होता है. इसका अर्थ है कि कोल्ड स्टोरेज सुविधा को बनाए रखने के लिए विद्युत ऊर्जा एक प्रमुख चालू लागत है. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रिड बिजली की आपूर्ति इसकी मात्रा और गुणवत्ता के संबंध में बहुत खराब है. यह भारत में कोल्ड स्टोरेज रूमों की कमी और एक एकीकृत कोल्ड चेन की स्पष्ट कमी के पीछे एक मुख्य कारण है. अगर इसकी पूर्ति कर दी जाएं तो  ताजी सब्जियों और फलों की तरह खराब होने वाले सामानों को स्टोर, संरक्षित किया जा सकता है.

गौरतलब है कि किसान सौर ऊर्जा की मदद से अपने उत्पादों को अधिक लंबी अवधि तक संरक्षित रख सकते है, इससे उन्हें न केवल लाभ मिल सकेगा बल्कि वे अपनी फसल को तब भी बेच सकेंगे जब उन्हें सही कीमत देने वाला खरीदार मिल जाए.पिछले कुछ वर्षों में, सौर ऊर्जा से चलने वाले स्टोरेज का विकास दुनिया भर में होड़ बन गया है, जिसमें कई स्टार्ट-अप और स्थापित रेफ्रिजरेशन कंपनियाँ समान रूप से किसानों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार कूलिंग रूम स्थापित करने के लिए कई विकल्प प्रदान कर रही हैं. सौर ऊर्जा से चलने वाला कोल्ड स्टोरेज भारतीय किसानों की जरूरतों के लिए एक आदर्श प्रतिक्रिया प्रदान करता है क्योंकि यह फलों, सब्जियों और अन्य खराब होने वाले फसल के नुकसान की समस्या को पर्याप्त रूप से रोकथाम  करता है. इनमें, फसल को साफ प्लास्टिक के बक्से में रखा जाता है, जिसे बाद में ठंडे कमरे में रख दिया जाता है. यह दो दिनों से लेकर लगभग 21 दिनों तक फल, सब्जियों और अन्य खराब होने वाले भोजन की ताजगी को बरकरार रखता है.

English Summary: Reduce the loss of post harvests with cold storage powered by solar energy
Published on: 11 October 2019, 02:54 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now