Onion Price: प्याज की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए नियार्त प्रतिबंध का अब उल्टा असर होता नजर आ रहा है. प्याज के दाम कम होने से आम जनता को तो राहत मिल चुकी है. लेकिन, किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. दरअसल, बीते डेढ़ महीने से प्याज पर निर्यात प्रतिबंध का सामना कर रहे किसानों को अभी तक राहत नहीं मिल पाई है. खासकर महाराष्ट्र के किसानों को, जहां सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है. दाम कम होने के बाद भी केंद्र सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा है, जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहै. इतना ही नहीं राज्य सरकार की ओर से भी किसानों की कोई मदद नहीं की जा रही है.
किसानों को उम्मीद थी कि 2023 की तरह इस बार भी दाम कम होने पर सरकार आर्थिक मदद जरूर करेगी. राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस समेत पीयूष गोयल ने आश्वासन दिया कि किसानों के हित में कुछ फैसले लिए जाएंगे. लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ. अब हालात यह है की महराष्ट्र की मंडियों में प्याज की कीमत अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. महाराष्ट्र कृषि विपणन बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य की कुछ मंडियों में प्याज की न्यूनतम कीमत 1 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है.
किसानों को राहत दे सरकार
प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगने के बाद से राज्य के किसान सरकार सवाल कर रहे हैं कि जब कीमतें बढ़ती हैं तो निर्यात बंद कर देते है. अब जब कीमतें कम हो गई हैं, तो सरकार प्रतिबंध क्यों नहीं हटा रही. किसानों को कहना है की उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. ऐसे में सरकार तुरंत प्रतिबंध हटाए. महाराष्ट्र कांडा किसान संगठन के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि सरकार किसी अज्ञात कारण से किसानों पर अत्याचार कर रही है. अगस्त 2023 से ही प्याज पर कोई न कोई प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. इससे किसानों की कमर टूट गई है.
एक रुपये प्रति किलो तक पहुंचा दाम
महाराष्ट्र कृषि विपणन बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 27 जनवरी को राज्य की चार मंडियों में प्याज की न्यूनतम कीमत 1 रुपये प्रति किलो रही. शनिवार को सोलापुर मंडी में रिकॉर्ड 1,44,801 क्विंटल प्याज पहुंचा, जिसके कारण न्यूनतम कीमत 100 रुपये प्रति क्विंटल रही. इसी तरह अहमदनगर मंडी में 94,991 क्विंटल, संगमनेर मंडी में 11,689 क्विंटल और सटाणा मंडी में 5020 क्विंटल प्याज की आवक हुई, जिससे दाम महज 100 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. कुछ ऐसा ही हाल राज्य की अन्य मंडियों का भी है. जहां, किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों को कहीं दो, तो कहीं तीन रुपये का भाव मिल रहा है. इतने कम दाम के चलते किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है और किसान सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.