तेजी से बढ़ते शहरीकरण और खाद्य उपभोग पर बढ़ती जागरूकता के कारण ‘ऑर्गेनिक’ शब्द आज के बाजार में प्रचलित हो रहा है. ऑर्गेनिक खाद्य को जैविक कृषि तकनीकों से उगाया जाता है और इसमें रसायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का उपयोग नगण्य अथवा बिलकुल नहीं होता है. इसकी प्रोसेसिंग में रसायन, कृत्रिम रंग, स्वाद या एडिटिव्स का उपयोग नहीं किया जाता है. इसे उगाने के लिये अक्सर जैविक खाद, जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है. उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता और अवशिष्ट आय के कारण ऑर्गेनिक उत्पाद की मांग बढ़ी है. यह मांग केवल मेट्रो या शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि टियर 1 और टियर 2 शहरों से भी आ रही है, उपभोक्ता अब स्वास्थ्यकर ऑर्गेनिक खाद्य के लिये 20-25 प्रतिशत अधिक धन खर्च करने के लिये तैयार हैं. बाजार की इस क्षमता को देखते हुए किसान भी एग्रोकेमिकल्स का उपयोग छोड़कर ऑर्गेनिक खेती अपना रहे हैं. परिणामस्वरूप अधिक से अधिक किसान जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों और ऑर्गेनिक वृद्धिकारकों का उपयोग कर रहे हैं, ताकि फसल में सुधार हो और खेती की लागत कम हो.
नेटसर्फ का मुख्यालय पुणे में स्थित है और यह भारत की अग्रणी डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों में से एक है. कृषि के लिहाज से नेटसर्फ एकमात्र कंपनी है, जो भारत में डायरेक्ट सेलिंग के माध्यम से ऑर्गेनिक कृषि उत्पादों का विपणन करती है.
नेटसर्फ केवल ऑर्गेनिक कृषि उत्पादों की पेशकश नहीं करता है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर भी देता है. कंपनी अब तक 20 लाख किसानों को 8 मिलियन से अधिक कृषि उत्पाद बेच चुकी है. बायोफिट उत्पादों के उपयोग से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और मध्यप्रदेश की लाखों हेक्टर कृषि भूमि को लाभ हुआ है.
नेटसर्फ ने ऐसे ऑर्गेनिक कृषि उत्पाद समाधान बनाये हैं, जिन्हें आम एग्रोकेमिकल्स के साथ उपयोग में लाया जा सकता है. अगले चरणों में बायोफिट को एग्रोकेमिकल्स पर निर्भरता कम करने और अंततः उनके स्थान पर ऑर्गेनिक उत्पादों की श्रृंखला लाने के लिये बनाया गया है, ताकि उत्पाद 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक हों. भारत के कई किसानों ने 3 से 4 वर्ष तक बायोफिट का सही उपयोग किया और अपनी खेती को पूरी तरह ऑर्गेनिक बना दिया.
सांगली, महाराष्ट्र के एक योग्य किसान राजाराम शंकर बाल्टे को गन्ने और अनार की खेती में कई कठिनाइयाँ हो रही थीं. लगभग हर वर्ष उनकी फसल बीमार हो जाती थी और उसे तुरंत ठीक करने की उम्मीद में उन्होंने रासायनिक उत्पादों का खूब प्रयोग किया. इससे बीमारी तो दूर हो गई, लेकिन इसके भयानक साइट इफेक्ट्स हुए, जैसे मृदा का स्वास्थ्य खराब होना, बढ़ी हुई लागत और उत्पाद की गुणवत्ता का विकृत होना. वे कहते हैं, ‘‘वैकल्पिक समाधान की तलाश में मुझे ‘बायोफिट’ उत्पाद मिले. मैं पिछले 3 वर्षों से अपनी फसलों के लिये बायोफिट-95 और बायोफिट इंटैक्ट का उपयोग कर रहा हूँ.’’
सही और प्रभावी ऑर्गेनिक कृषि उत्पादों के महत्व पर राजाराम आगे कहते हैं, ‘‘बायोफिट उत्पादों से मेरी फसलों का जीवन स्वस्थ हो गया. उत्पादनशीलता इतनी बढ़ी कि प्रति एकड़ अनार का उत्पादन 5-6 टन से बढ़कर 27 टन प्रतिवर्ष पहुंच गया. गन्ने की फसल भी प्रति एकड़ 50 टन से बढ़कर 90 टन हो गई. सबसे अच्छी बात यह रही कि आकार और रंग से फसल स्वस्थ दिखने के कारण मैं बाजार में अधिक मूल्य की मांग कर पाया. इसके अलावा मृदा का स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ है, जो किसी भी किसान के लिये लंबी अवधि का लाभ है.’’
बायोफिट उत्पादित श्रृंखला ने किसानों को फसल बढ़ाने के साथ ही खेतों में केमिकल इनपुट से संबंधित खर्च कम करने में मदद मिली. इससे खेती करना उनके लिए लाभदायक हो गया. इस तरह भारत में सफलता की कई कहानियां लिखी गईं. इसके अलावा, ‘बायोफिट फार्मिंग’ हानिकारक रसायनों के रिसाइड्युअल प्रभावों से जुड़े जोखिम भी दूर हुए, और किसान अपनी फसलों से अच्छी कीमत की उम्मीद कर सकते हैं.
अनुमान के अनुसार, भारत में मौजूदा ऑर्गेनिक खाद्य का उपभोग देश के कुल 300 बिलियन डॉलर के वार्षिक खाद्य उपभोग का 0.1 प्रतिशत भी नहीं है. इससे नेटसर्फ जैसे वास्तदविक विनिर्माताओं एवं विपणनकर्ताओं के लिए महाराष्ट्र और देश भर में व्यापक पैमाने पर हालिया भविष्य में कई और “ऑर्गेनिक एग्रीप्रेन्यो्र्स” के आने का मार्ग प्रशस्ते होता है.