विदेशियों को भारत के मसाले खूब पसंद आ रहे हैं. विगत 5 सालों में भारत से मसाला उत्पादों का निर्यात 20 प्रतिशत बढ़ा है. इस बारे में स्पाइस बोर्ड ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि 2015 से 2020 तक भारत में बनने वाले मसालों की मांग विदेशों में बढ़ी है.
2017 के बाद से ग्राफ ऊपर
मसाला उत्पादों के निर्यात में सबसे पहले उछाल 2017-2018 में आया था, जब 7,97,145 टन मसालों का निर्यात हुआ था. बता दें कि यह निर्यात सामान्य से 18 प्रतिशत अधिक था. 2019-2020 में निर्यात में गिरावट आई, जिसका सबसे बड़ा कारण लॉकडाउन और आयात-निर्यात पर प्रतिबंध रहा. विशेषज्ञों के मुताबिक अगर लॉकडाउन जैसे माहौल नहीं होते तो भारत से मसालों का निर्यात और अधिक होता.
इन मसालों की मांग सबसे अधिक रही
प्राप्त जानकारी के मुताबिक विदेशों में सबसे अधिक भारत से एसाफेटिडा, छोटी इलायची, जीरा और लहसुन का निर्यात हुआ. इसके अलावा अअजवाइन, सरसों और डिल की खरीददारी भी विदेशों में तेज रही.
इनका बढ़ा निर्यात मूल्य
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुछ मसालों के निर्यात मूल्य में भी वृद्धी हुई. वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स में करी पत्ता, पुदीना, मसालों के तेल आदि छाए रहे.
सबसे अधिक बिकी छोटी इलायची
सभी मसालों में सबसे अधिक निर्यात छोटी इलायची का रहा. मूल्य और मात्रा की नजर से देखे तो अप्रैल से मार्च तक 4180 टन छोटी इलायची का निर्यात किया गया.
कोरोना काल में बढ़ी औषधीय मसालों की मांग
2020 के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय मसालों के निर्यात में 2018 के मुकाबले गिरावट आई, लेकिन औषधीय मसालों की मांग में बढ़त देखी गई. अप्रैल से जुलाई (2020)में 4.33 लाख टन औषधीय मसाले का निर्यात भारत से हुए जिसकी अनुमानित लागत 7760 करोड़ रुपए रही.
सेहतकारी गुणों के लिए जाने जाते हैं भारतीय मसाले
बता दें कि भारतीय मसालों को प्राकृतिक रूप से उसके सेहतकारी गुणों, स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है. विदेशों में इसके शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, जिसके उपयोग से अतिरिक्त कैलोरी नहीं बढ़ती है.