लॉकडाउन के कारण देश में प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच गई है. यही कारण है कि बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सरकार ने अब बड़ा फैसला लिया है. दरअसल केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दिया है, ये रोक प्याज की सभी किस्मों पर लगाई गई है.
इस बारे में डायरेक्ट्ररेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा है कि मार्केट कंडीशन को देखते हुए प्याज के निर्यात पर तुरंत पाबंदी लगा दी गई है. निर्यात पर पाबंदी टेम्परेरी रूप से लगाई गई है और इसे सही समय आने पर खोल दिया जाएगा.
सरकार के इस फैसले से बैंगलूर रोज और कृष्णापुरम प्याज के किसान अधिक प्रभावी होंगे, क्योंकि प्याज की इन किस्मों को बड़े स्तर पर निर्यात किया जाता है. इस बारे में मार्केट विशेषज्ञों का कहना है कि एक तो कोरोना काल में वैसे भी प्याज का उत्पादन कम हुआ है, ऊपर से इनके निर्यात से कीमतें बढ़ी है. ऐसे में मौसमी कमी को पूरा करने के ले निर्यात रोका गया है.
इन देशों में जाता है भारत का प्याज
भारत से कई देश प्याज खरीदते हैं, जिनमें बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई और श्रीलंका आदि देश प्रमुख है. प्याज के उत्पादन में महाराष्ट्र, मध्य-प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान और बिहार जैसे राज्य मुख्य है, लेकिन कोरोना काल में इन राज्यों के घरेलू बाजार में भी प्याज के रीटेल प्याज 20 रूपए तक बढ़ गए. 15 से 20 रुपए तक मिलने वाला प्याज 50 रुपये किलो के आस-पास बिकने लगा.
प्याज की हो रही जमाखोरी
मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि कम उत्पादन के साथ-साथ बड़े व्यापारियों द्वार भारी जमाखोरी हो रही है, जिस कारण प्याज के दाम बढ़ रहे हैं. दिल्ली की आजादपुर मंडी में तो प्याज 37 रूपए किलो(होलसेल रेट) में बिका.
पिछले साल भी हुआ था नुकसान
किसानों के मुताबिक प्याज पर बार-बार प्रतिबंध के कारण उन्हें नुकासन उठाना पड़ रहा है. पिछले साल भी बारिश के कारण प्याज की खेती नहीं हो पाई थी और फसलों का नुकसान हुआ था.
कम होगी महंगाई
इस बारे में मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के इस कदम से प्याज लोकल मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो सकेगा, प्याज की उपलब्धता के कारण कीमतों में कमी आएगी और महंगाई को काबू में किया जा सकेगा.
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