Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 22 November, 2019 5:48 PM IST

गाय के गोबर और मूत्र के बाद से इन दिनों बकरी के दूध से बना साबुन लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.दरअसल महाराष्ट्र के सुखाड़ इलाके उस्मानाबाद के किसान बकरियों के दूध की तदबीर से बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. बता दे कि इस काम में उनकी मदद स्थानीय नस्ल की उस्मानाबादी बकरी कर रही हैं. तकरीबन 25 गांवों का परिवार इस बकरी की मदद से साबुन बनाने के साथ ही बेचकर पैसे कमा रहा है. और इस काम में उनकी मदद कर रही है स्वयंसेवी संस्था ‘शिवार’ के सीईओ विनायक हेगाना. उनके मुताबिक, यह काम उन किसानों के लिए शुरू किया गया जिन्होंने गरीबी के चलते आत्महत्या कर ली या बुरे दौर का सामना कर रहे हैं.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, हेगाना ने कहा, पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद देने की बजाय हमने उन्हें आजीविका कमाने का तरीका सिखाने का फैसला किया. उन्हें बताया कि कैसे उस्मानाबादी बकरियों को पालकर मुनाफा कमा सकते हैं. किसानों को एक लीटर बकरी के दूध के 300 रुपये मिलते हैं और एक दिन के काम का 150 रुपया दिया जा रहा है. इस काम में 250 परिवार और उनकी 1400 बकरियां शामिल है. संस्था इस परियोजना में 10,000 और परिवारों को जोड़ेगी.

साबुन बनाने के लिए उस्मानाबादी बकरी की दूध ही क्यों?

दरअसल उस्मानाबादी बकरी की दूध, विटामिन ए, ई, सेलेनियम और अल्फा हाइड्रोक्सी अम्ल से भरपूर होने के साथ ही त्वचा के रोगों के इलाज में बेहतर है. उस्मानाबादी बकरी का प्रयोग आमतौर पर दूध और मांस दोनों के लिए होता है. इस नस्ल की बकरी महाराष्ट्र में पाई जाती है. आमतौर पर बकरी साल में दो बार प्रजनन करती है. इस नस्ल की मृत्युदर भी कम है. सामान्य तौर पर पाली जाने वाली जमुनापारी नस्ल की बकरियां सिर्फ दूध के मामले में बेहतर होती हैं, लेकिन इनकी मृत्युदर अधिक होती है.

English Summary: Farmers of Osmanabad are earning bumper profits by making soap from goat milk!
Published on: 22 November 2019, 05:54 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now