Cumin Price: नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर अगस्त में देखी गई 65,000 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड ऊंचाई से 50 फीसदी की गिरावट के बाद जीरा (जीरा) की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है. दरअसल, इस बार देश में जीरा का उत्पादन काफी ज्यादा हुआ है. जिस वजह से इसकी कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है. मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है की 2024 में इसकी आपूर्ति और बढ़ने की संभावना है. ऐसे में इसके दाम और गिर सकते हैं. केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल (Agmarknet.in) के अनुसार, जीरा का मॉडल मूल्य (जिस दर पर अधिकांश व्यापार होता है) 36,500 प्रति क्विंटल चल रहा है.
फीका पड़ा जीरे का प्रभाव
बिजनेस लाइन में छपी एक रिपोर्ट में अमर अग्रवाल फूड्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अंकित अग्रवाल के हवाले से बताया गया है कि कीमतों में मूल रूप से गिरावट अधिक उत्पादन के चलते आई है. पिछले साल की तुलना में इस साल उत्पादन 60 प्रतिशत अधिक रिकॉर्ड किया गया है. एग्रीवॉच के वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक बिप्लब सरमा के मुताबिक, मसाला बाजार में सप्लाई बढ़ने से जीरे की कीमतों पर लगाम लगी है. एनसीडीईएक्स पर जीरा की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई से गिरकर बीते आठ महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. उन्होंने कहा कि निर्यात में गिरावट और उत्पादन बढ़ने के चलते जीरे की कीमतों पर असर पड़ा है.
गुजरात कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 11 दिसंबर तक जीरा की बुआई 4.34 लाख हेक्टेयर (एलएच) जमीन पर की गई है, जो एक साल पहले के 2.24 लाख हेक्टेयर की तुलना में 93.5 प्रतिशत अधिक है. वहीं, राजस्थान कृषि विभाग के अनुसार, 13 दिसंबर तक जीरा की बुआई 6.51 लाख हेक्टेयर जमीन पर हो चुकी है, जबकि एक साल पहले यह 5.62 लाख प्रति हेक्टेयर थी.
इस वजह से बढ़ा जीरे का उत्पादन
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई क्षेत्र जो आमतौर पर धनिया उगाते थे, उन्होंने इस बार जीरा को जगह दी है. बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा रुझानों के आधार पर जीरा का रकबा 30-35 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, जो संभावित रूप से धनिया जैसी अन्य प्रतिस्पर्धी फसलों की कीमत पर आएगा. नए क्षेत्र भी खेती के अंतर्गत आ सकते हैं.