बांग्लादेश ने भारतीय संतरे पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है. इसकी वजह से किसानों को अब छोटे आकार के संतरे को फेंकना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि इन संतरों की खरीदारी के लिए कोई नहीं मिल रहा है. इसके अलावा किसानों को अच्छे बड़े संतरों का दाम भी कम मिल रहा है. महाराष्ट्र के नागपुर जिले में सबसे ज्यादा संतरे की खेती की जाती है.
महाराष्ट्र के किसानों की समस्या बढ़ती ही जा रही है. कभी बारिश में फसलों को नुकसान होता है तो कभी उपज का सही दाम नहीं मिल पाता है. अब बांग्लादेश ने भारतीय संतरे पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है. इससे बांग्लादेश में बैधरबी संतरे की आपूर्ति महंगी होने के कारण काफी कम हो गई है. और छोटे संतरे का कोई खरीदार नहीं मिल रहा, इसके चलते किसान छोटे संतरे फेंकने के लिए मजबूर हो गए हैं.
नागपुर और अमरावती दोनों ही जिले संतरे के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन आयात शुल्क बढ़ जाने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
200 से घटकर 20 ट्रक हुआ निर्यात
आयात शुल्क बढ़ाने के कारण बांग्लादेश में वैधरबी संतरे की सप्लाई महंगी हो गई है, इसलिए निर्यात में भारी कमी आई है. व्यापारियों ने बताया कि विदर्भ से रोजाना 200 ट्रक संतरे बांग्लादेश भेजे जाते थे, अब सिर्फ 20 ट्रक संतरे बांग्लादेश भेजे जा रहे हैं. चूंकि भारतीय बाजार में हर समय 180 ट्रक संतरे सरप्लस में रहते हैं. स्थितियां यह हैं कि छोटे आकार के संतरे का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. किसान व व्यापार अब इन्हें सड़कों पर फेंकने के लिए मजबूर हैं.
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संतरे की कीमतों में आई गिरावट
बांग्लादेश सरकार ने विदर्भ के संतरे को बड़ा झटका दिया है. संतरों की कीमत में गिरावट से प्रति टन 7 हजार से 12 हजार रुपये का नुकसान होता है. दो हफ्ते पहले 25 हजार रुपये से 35 हजार रुपये की दर पर बिकने वाले संतरे वर्तमान में 20 हजार से 18 हजार रुपये प्रति टन बिक रहे हैं.
संतरा किसानों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश से संतरों पर आयात शुल्क के मुद्दे का जल्द समाधान नहीं किया गया तो विदर्भ के किसानों को भारी नुकसान हो सकता है.