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मुर्गी पालन और सब्जी व्यवसाय से सालाना लाखों कमा रहा है ये किसान, ग्रामीण युवाओं के लिए बना मिसाल

Success Story: सफल किसान की इस सीरीज में आज हम आपको कृषि जागरण के आर्टिकल में मध्य प्रदेश के ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जो मुर्गी पालन और सब्जी व्यवसाय से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं.

KJ Staff
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के बाजना ब्लॉक के कुदंनपुर गाँव  में रहने वाले पप्पू रामसिग चरपोटा
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के बाजना ब्लॉक के कुदंनपुर गाँव में रहने वाले पप्पू रामसिग चरपोटा

Success Story: भारत के विकास में युवा अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं और आज समय के साथ अपने आपको भी बदल रहे हैं. यही वजह है कि आज किसी भी क्षेत्र में युवा अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा हैं और अन्य लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहा हैं. फिर चाहे वह दूर-देहात में बसने वाले ग्रामीण युवा ही क्यों न हों. जी हां, इसका बेहतरीन उदाहरण है पप्पू रामसिग चरपोटा. दरअसल यह युवा वागधारा संस्था द्वारा संचालित कार्यक्रम “दक्षिण राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों के प्रवासी युवाओं की जोखिमता में कमी लाना” से जुड़कर और कौशल अपनाकर सफल उद्यमी के रूप में उभरे है, यह युवा न सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है, अपितु अन्य लोगों को भी अपने कार्य से प्रेरित कर रहे हैं.

मुर्गी पालन और सब्जी व्यवसाय

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के बाजना ब्लॉक के कुदंनपुर गाँव के आदिवासी युवाओं को उद्यमी के रूप में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से युवाओ को मुर्गी पालन और सब्जी व्यवसाय से जोड़कर सफल उद्यमी स्थापित करने के लिए और स्थानीय स्तर पर आजीविका सुनिश्चित करवाने के लिए पप्पू को संस्था के सहयोग से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षित करके आजीविका सृजित करने के गुण सिखाये गए है. यह युवा अब इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है और मुर्गीपालन, सब्जी व्यवसाय जैसी आजीविका की गतिविधियों से जुड़कर खुद को और अपने परिवार का भरणपोषण कर रहा है.

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3 बीघा जमीन पर करते हैं खेती

पप्पू चरपोटा एक लघु एवं सीमांत किसान हैं, जो 3 बीघा जमीन पर खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं. अपने विगत दिनों के बारें में बात करने पर पप्पू बताते हैं कि, 3 बीघा जमीन पर वर्षा आधारित खेती होने से पर्याप्त मात्रा में उपज नहीं होने के कारण पारिवारिक जरुरतों को पुरा करने में बडी दिक्कत आती थी, और मैं खुद मजदूरी करने के लिए गुजरात के सुरत में पलायन कर भवन निर्माण के काम पर जाता था. वहां किसी भी प्रकार की कोई भी सुविधा नही थी और आत्म संतुष्टि नही मिल रही थीI तब मेरे मन में यह विचार आया की क्यों ना मैं अपने गाँव में जाकर कोई छोटा मोटा व्यवसाय ही कर लू. उन्होंने आगे बताया, 3 साल पहले गाँव वापस आने के उपरांत मैं वाग्धारा संस्था से जुडा, संस्था द्वारा मुझे उद्यमी बनने हेतु विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए गए जो मुझे आगे कार्य करने के लिए मददगार साबित हुए है.

सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ

उन्होंने बताया कि, संस्था हमारे गाँव में युवाओं की पंचायत में भूमिका एवं भागीदारी, सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं के लाभ लेने और संस्था के सच्ची खेती के तहत परम्परागत खेती के लिए प्रोत्साहन, इत्यादि के लिए उनका क्षमता वर्धन प्रति माह आयोजित होने वाली बैठक में करते हैं. जिसमें अलग-अलग प्रकार के प्रशिक्षण दिए जाते हैं, साथ ही युवाओ को खेती में कम खर्च में अधिक लाभ मिले इसके लिए संस्था इन युवाओ की आजिविका बढाने हेतू सतत प्रयासरत हैंI साथ ही स्थानीय सक्षम समूह के माध्यम से संस्था देसी खाद, देशी दवाई, देशी बीज एवं बकरी पालन एवं मुर्गी पालन को बढ़ावा दे रही है.

संस्था ने दिए 30 मुर्गी के चूजे

पप्पु ने बताया कि, मुझे वागधारा संस्था ने सफल उद्यमी के तहत 2 वर्ष पूर्व में 30 मुर्गी के चूजे दिए गए थे, जिसमें 15 कड़कनाथ प्रजाति के थे, जो काले रंग के थे और 15 चूजे स्थानीय प्रजाति प्रताप धन के दिए गए थे, जो जो मेरे परिवार का हिस्सा बने, उन्हें मेरे एवं परिवार के सदस्यों द्वारा अच्छे से पालन पोषण करके बड़े किए गए एवं उनके लिए अलग-अलग प्रकार के स्थानीय तौर तरीके अपनाएं जिससे मुर्गी पालन को अच्छे से कर सकूं एवं उससे मेरी आय में सुधार कर सकूं, जिसके लिए मैंने मुर्गियों के लिए परम्परागत तरीके से मुर्गीघर बनवाया एवं अलग-अलग मुर्गियों के अंडे रखने के लिए टॉपले तैयार करवाएं. जिससे मुर्गियों को जल्दी बढ़ा सके और समय पर बेच सकें.

घर बैठे 4500 रूपये की कमाई

किसान पप्पु चरपोटा ने बताया कि, आज मुझे मुर्गी पालन से घर बैठे लगभग प्रति माह 4000 से 4500  रूपये तक की कमाई हो रहीं हैं, मेरे पास अभी वर्तमान में 28 मुर्गियां एवं 4 मुर्गे हैंI उन्होंने कहा कि, कड़कनाथ किस्म को हमारे क्षेत्र के लोग कम जानते हैं, जिसको मैं हमारे आसपास के क्षेत्र में लगने वाले स्थानीय हाट बाजार में जाकर बेचता हूं. उन्होंने बताया कि, मुझे देसी मुर्गी के बजाय दुगुने पैसे मिलते हैं, इसे बेच कर मिले पैसे से छोटी सी किराना दुकान लगाई है और वहां से प्रतिदिन 200 से 300 रूपये की आमदनी हो रही है. अभी मेरे परिवार को नरेगा योजना से 100 दिवस का रोजगार गारंटी योजना में कार्य भी मिला जो संस्था से जुड़ने से पहले 10 से 20 दिन का ही मिल पाता था, अपने घर पर रहकर ही मुर्गीपालन को अधिक बढ़ावा देना चाहता हूंI साल भर में मुर्गी पालन से चालिस से पचास हजार रुपये कमा पाता हूं,

सालाना डेढ़ से दो लाख रूपये की आमदनी

उन्होंने बताया कि, मैंने प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत अपने खेत में कुआ खुदवाया और मैंने अपने खेत में सब्जियों की वाड़ी की है, उसमे बैंगन, टमाटर, मेथी, वालोर, मिर्च, गोभी इत्यादि सब्जियों का उत्पादन करके साल भर में डेढ़ से दो लाख रूपये की आमदनी हो जाती हैI अपने भावी योजना के बारे में पप्पू बताते हैं की सब्जियां सही समय पर बाजार तक ले जाने में समय और खर्च लगता हैं. उसके लिए वो खुद का लोडिंग टेम्पो वाहन लेने की इच्छा है, ताकि उसका उत्पाद समय पर हाट बाजार में ले जाकर सही मूल्य प्राप्त कर सकें. अपनी मेहनत और प्रयासों से पप्पू ने अपना पलायन किया है अब गांव के दुसरे युवाओं को भी इसको लेकर जागरूक करने का काम कर रहे हैं. वह भी काम की तलाश में पलायन ना करें और गाँव में ही अपनी खेती में सुधार कर और उद्यमी गतिविधियों को अपनाकर अपनी आजीविका सुनिश्चित कर सके.

English Summary: success story of madhya pradesh farmer earning lakhs annually from poultry and vegetable business Published on: 12 April 2024, 06:31 PM IST

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