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अब शहर कस्बों में उगेंगी, ताजी हरी फल-सब्जियां

फल-सब्जियों में मिलावट और बढ़ते प्रदूषण की खबरों से परेशान लोग अब खुद अपने घर में फल-सब्जियां उगाना चाहते हैं ताकि उनके परिवार को शुद्ध खाना मिल सके। घर पर कैसे बनाएं ऑर्गनिक किचन गार्डन, एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी हम आपको जानकारी दे रहे है!

फल-सब्जियों में मिलावट और बढ़ते प्रदूषण की खबरों से परेशान लोग अब खुद अपने घर में फल-सब्जियां उगाना चाहते हैं ताकि उनके परिवार को शुद्ध खाना मिल सके। घर पर कैसे बनाएं ऑर्गनिक किचन गार्डन, एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी हम आपको जानकारी दे रहे है!

कभी नहीं डाली मार्केट की खाद

मेरे पास करीब 125 स्क्वेयर मीटर जगह है, जहां मैंने तरह-तरह के फल और सब्जियों के पौधे लगा रखे हैं। खास बात यह है कि ये पूरी तरह ऑर्गनिक हैं यानी इनमें किसी तरह के केमिकल पेस्टिसाइड का इस्तेमाल नहीं होता। दरअसल, खेती में मेरी शुरू से ही काफी दिलचस्पी रही। 1999 में यूनिवर्सिटी से रिटायर होने के बाद मैंने करीब 9.10 साल कई इंटरनैशनल फूड कंपनियों और नामी राइस मिलों में बतौर ऑर्गेनिक ऐग्रिकल्चर एडवाइजर काम किया। फिर सोचा कि क्यों ना अपने घर में ही सब्जियां और फल उगाए जाएं। फलों के पौधे उगाने के लिए लिए खासतौर पर मैंने बड़े.बड़े तारकोल के ड्रम लिए, 75 सेंटीमीटर चौड़े और इतने ही ऊंचे। इनमें आम, अमरूद, नीबू आदि के पौधे लगाए। फिर कुछ गमलों में और कुछ ड्रमों में फलों के पेड़ों के नीचे मौसम के अनुसार सब्जियां भी उगानी शुरू कीं। अब आलम यह है कि न सिर्फ अपने परिवार के लिए बल्कि यार-दोस्तों को भी हम अपने घर में उगे पूरी तरह ऑर्गेनिक फल और सब्जियां देते हैं। मैं अपने पौधों के लिए खुद ही खाद और पेस्टिसाइड भी बनाता हूं, वह भी पूरी तरह ऑर्गेनिक। मुझे कभी अपने पौधों के लिए मार्केट के खाद या पेस्टिसाइड की जरूरत नहीं पड़ी। जिस किसी को पौधों से प्यार है या फिर अपने परिवार और खुद की सेहत अच्छी रखना चाहता है, वह अपने घर में ऑर्गेनिक फल और सब्जियां उगा सकता है, वह भी बिना किसी ज्यादा खर्च के मैं पिछले 10 साल से ऐसा कर रहा हूं। - राजेंद्र यादव

वक्त की नहीं, चाहत की जरूरत

जब हमने टॉप फ्लोर पर दो फ्लैट खरीदे तो सोचा कि क्यों न मिलकर सब्जियां उगाएं ताकि हमारे परिवारों को ऑर्गेनिक सब्जियां मिल सकें। इसके बाद हमने पिछले साल फरवरी में अपनी छत पर करीब 40 स्केयर यार्ड जमीन में परमानेंट क्यारी तैयार कराई। सीमेंट, मिट्टी, मजदूर आदि सब मिलाकर करीब 35 हजार रुपये का खर्च आया। घर में सीलन न आए, इसके लिए छत पर ईंट रखकर छोटी टाइल्स लगवाईं। शुरुआत में सब्जियां उगाने के लिए माली रखा लेकिन अब हम बच्चों के स्कूल जाने के बाद खुद ही पौधों की देखभाल कर लेती हैं। दोनों परिवारों में बड़े और बच्चे मिलाकर करीब 8.9 लोग हैं। हम सबके लिए पीक सीजन में हफ्ते में 4 दिन तक सब्जियों का इंतजाम अपनी छत से हो जाता है। हालांकि इन दिनों ज्यादा ठंड की वजह से सब्जियां नहीं मिल पा रही हैं। हम अपने पौधों के लिए सिर्फ कीड़े की दवा मार्केट से मंगाते हैं। बाकी जैविक खाद खुद ही तैयार करते हैं, फल और सब्जियां के छिलके और बचे खाने से। निराई-गुड़ाई, पानी डालने आदि के लिए मिलाकर हफ्ते में औसतन दो-ढाई घंटे का टाइम दे दिया जाए तो काफी है। जब दिल्ली जैसे शहर में मन होने पर छत पर ही मूली-गाजर उखाड़कर खाते हैं तो दिल को एक तरह का सुकून होता है कि परिवार को अच्छा खाना मिल रहा है। एक और फायदा यह हुआ है कि हम एक-दूसरे के इलाके की सब्जियां भी खाने लगे हैं, जिनके बारे में पहले पता ही नहीं था जैसे कि बिहार में चौलाई का साग खाते हैं, जोकि दिल्ली वालों में ज्यादा पॉपुलर नहीं है। इसी तरह, ग्वार की फली बिहार में नहीं खाई जाती लेकिन दिल्ली में खूब पॉपुलर है। साथ सब्जियां उगाने से हमारे खाने में काफी वैरायटी आई है। - सोनी झा और मीनू शर्मा

8 बार लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में नाम

पिछले 30 साल से मैं टेरिस गार्डनिंग कर रहा हूं। अब 75 साल उम्र हो रही है और सुबह करीब 2 घंटे लगते हैं पौधों को पानी देने में लेकिन पौधों के लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हुआ। दरअसल, मैं एक एथलीट था। दिल्ली स्टेट की तरफ से खेलता था। लेकिन घर शिफ्ट होने के बाद मेरा खेलना छूट गया। इसके बाद मैंने खुद को बिजी रखने के लिए गार्डनिंग शुरू की। गुलाब के पौधों से शुरुआत की और अब मेरी 40 गज की छत पर करीब 15 हजार पौधे हैं। इतने कम एरिया में इतने ज्यादा पौधे होने के लिए दो साल पहले मेरा नाम लिम्का बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में आया था। उस वक्त करीब 20 हजार पौधे थे छत पर। वैसेए मैं खुशनसीब हूं कि अब तक कुल 8 बार मेरा नाम लिम्का बुक में आ चुका है। इस साल मेरा नाम पौने चार फुट लंबे गौम्फ्रिना(Gomphrena) के लिए आया है, जोकि बेहद सुंदर फूल होता है। इसी तरह एक बार साढ़े चार फुट लंबाई तक पहुंचे पुदीने के लिए मेरे नाम रिकॉर्ड दर्ज हुआ। मेरे टेरेस गार्डन की खासियत यह है कि मैंने गिने-चुने ही गमले रखे हैं। बाकी सारे पौधे टोकरियों और सीमेंट की छोटी बोरियों आदि में लगाए गए हैं। इससे छत पर बोझ नहीं पड़ता। फूलों के अलावा मैं फल और सब्जियां भी लगाता हूं। फलों में अनार, अमरूद, चीकू, अंगूर आदि हैं तो सब्जियों में गोभी, पत्तागोभी, सेम, सोयाबीन, टमाटर, लहसुन, धनिया, करेला, लोबिया आदि। इसके अलावा नागफनी, तुलसी, एलोवेरा, पथरचट जैसे दवाओं के पौधे भी हैं। कई बार लोग दूर-दूर से इन्हें लेने आते हैं तो अच्छा लगता है कि किसी की मदद कर पा रहा हूं। - मदन कोहली

कैसे करें शुरुआत

- अगर आपके पास जमीन है तो क्यारी के लिए जमीन को 70-75 सेंटीमीटर गहरा खोदकर मिट्टी बाहर निकाल लें और 2.3 दिनों तक धूप में खुला छोड़ दें। इससे मिट्टी में मौजूद कीड़े-मकोड़े और फफूंद खत्म हो जाएंगे।

- अगर आप छत पर किचन गार्डन बनाना चाहते हैं तो वहां पर एक तय एरिया में पॉलीथिन बिछाकर ईंटों से घेरकर क्यारी बना लें। पॉलीथिन में कुछ छेद कर दें ताकि ज्यादा पानी बाहर निकल जाए।

- अगर आपके पास जमीन या छत नहीं है तो आप बालकनी में भी अपना किचन गार्डन तैयार कर सकते हैं। ध्यान रखें कि जिस बालकनी में धूप आती हो, वहीं पर किचन गार्डन बनाएं।

- अगर जगह की बहुत दिक्कत है तो आप पौधों के लिए स्टैंड भी तैयार करा सकते हैं। करीब 4 फुट चौड़े और 5 फुट चौड़ा स्टैंड 14.15 हजार रुपये में तैयार हो जाता है। इसमें सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती हैं।

- छोटे और चौड़े गमले, प्लास्टिक की ट्रे, पुरानी बाल्टी, टब, खाली ड्रम आदि को भी सब्जियां लगाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

- मिट्टी के गमलों को सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इनमें हवा आर पार होती है। हालांकि इनके टूटने का खतरा होता है। सीमेंट के गमले या तारकोल के ड्रम आदि का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। प्लास्टिक के गमलों से बचें क्योंकि इनमें हवा न आने से पौधों का पूरा विकास नहीं होता। गमलों पर केमिकल पेंट की जगह गेरू का इस्तेमाल कर सकते हैं। छोटे पौधों को 8 इंच, मझोले पौधों को 10 इंच और बड़े पौधों को 12 इंच के गमलों में रखें तो बेहतर होगा।

मिट्टी कैसे तैयार करें

- आमतौर पर क्यारी या गमलों की तैयारी सितंबर के आखिर और फरवरी के शुरू तक करनी चाहिए। यह बुवाई के लिए सही वक्त है।

- मिट्टी खेतों से मंगाएं या फिर पार्क आदि से भी ले सकते हैं। अगर मिट्टी में कीड़े हैं तो वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुए की खाद मिलाएं। मिट्टी तैयार करते हुए 2 हिस्से मिट्टी, 1 हिस्सा गोबर की सूखी खाद और 1 हिस्सा सूखी पत्तियों का रखें। इन्हें अच्छी तरह मिला लें। थोड़ी-सी रेत भी मिला लें।

- तैयार मिट्टी को अच्छी तरह मिलाकर क्यारी में भर दें। क्यारी को ऊपर से करीब 15 सेंमी खाली रखें। इसी तरह गमलों को तैयार करें।

- तैयार मिट्टी को गमलों में भरने से पहले गमले के बॉटम में जहां पानी निकलने की जगह बनी होती है पॉट के टूटे हुए टुकड़े या छोटे पत्थर रखें, ताकि पानी के साथ मिट्टी का पोषण बाहर न निकले। गमले का एक तिहाई हिस्सा खाली रहना चाहिए, ताकि पानी डालने पर इसमें ऊपर से मिट्टी और खाद बाहर बहकर न निकले।

- फिर मिट्टी में बीज लगाएं। जब भी कोई बीज रोपें, इसे इसके आकार की दोगुना मोटी मिट्टी की परत के नीचे तक ही भीतर डालें वरना अंकुर फूटने में लंबा वक्त लगेगा और कोंपल के बाहर आने में हफ्तों लग जाएंगे। मिट्टी डालने के बाद हल्का पानी डाल दें। इसके बाद गमलों को कागज से ढक दें ताकि पक्षी बीजों को न निकाल पाएं। अंकुर निकलने के बाद कागज को हटा लें। अगर पौधों को दूसरे गमले में लगाना है तो शाम या रात को यानी ठंडे वक्त पर ट्रांसफर करें और तब करें, जब पौधों में 4.6 पत्तियां आ चुकी हों।

 

नोटरू मिट्टी तैयार करते हुए उसमें अगर नीम की सूखी पत्तियां डाल दें तो कीड़े नहीं लगेंगे। इसी तरह अगर पौधों में केंचुए नजर आएं तो उन्हें मारे या फेंकें नहीं। ये पौधों के लिए बहुत अच्छे होते हैं।

बीज कहां से लें

- फल या सब्जियां उगाने के लिए हमेशा नैचरल ब्रीडिंग वाले बीजों का इस्तेमाल करें, न कि हाइब्रिड बीजों का।

- बीज पड़ोस की नर्सरी या बीज की दुकान से खरीद सकते हैं लेकिन किसी सरकारी संस्थान या ऐसी जगह से लेना बेहतर हैए जिसे अच्छे बीजों के लिए जाना जाता हैए जैसे कि दिल्ली में पूसा इंस्टिट्यूट और कृषि भवन।

- ऑनलाइन साइट्स से भी बीज मंगा सकते हैं। ऐसी ही कुछ साइट्स हैंरू

nurserylive.com
seedbasket.in
thespicemarket.in
amazon.in
flipkart.com

नोटरू प्याज, टमाटर, गोभी, बैंगन, गोभी आदि की पौध भी नर्सरी से लाकर लगा सकते हैं।

कौन से फल सब्जिया लगाये

- शुरुआत में आसानी से उगने वाली सब्जियां या फल उगाकर आप धीरे-धीरे गार्डनिंग की तकनीक सीख जाएंगे। आसानी से उगने वाली सब्जियां हैं मिर्च, भिंडी, टमाटर और बैंगन। ये 45 दिनों के भीतर तैयार हो जाती हैं।

- पालक, बींस, पुदीना, धनिया, करी पत्ता, तुलसी, मेथी, टमाटर और बैंगन जैसी सब्जियां किसी भी पॉट या छोटे गमले में आप बालकनी में आसानी से उगा सकते हैं। करेला और खीरा जैसी सब्जियों की बेलें न सिर्फ आपको फल देंगी बल्कि आपकी बालकनी की खूबसूरती भी बढ़ाएंगी। इनमें 45.50 दिन में सब्जियां आने लगती हैं।

- एक बार शुरुआत करने पर आप प्याज, आलू, बींस, पत्तागोभी, शिमला मिर्च जैसी तमाम सब्जियां उगा सकते हैं।

- 70x70 सेंमी वाले ड्रम में आम, केला, अमरूद, नीबू, आडू, अनन्नास जैसे फलों के पौधे भी लगाए जा सकते हैं। इनमें करीब 3 साल में फल आते हैं।

- फलदार पौधों के लिए आपको इसके कलम किए हुए पौधे की जरूरत होगी। अमरूद और आम की ऐसी किस्में भी मार्केट में मिल जाएंगी, जो साइज में छोटी होती हैं लेकिन फल भरपूर देती हैं।

सब्जियां

गर्मिया- करेला, भिंडी, घीया, तोरी, टिंडा, लोबिया, ककड़ी आदि। ककड़ी व बैंगन जनवरी के आखिर तक लगा दें, जबकि बाकी सब्जियां फरवरी-मार्च में लगाएं।

सर्दियां- मूली, गाजर, टमाटर, गोभी, पत्ता गोभी, पालक, मेथी, लहसुन, बैंगन, मटर आदि। ये सभी सब्जियां अक्टूबर, नवंबर में लगाई जाती हैं।

कितना पानी, कितनी धूप जरूरी

- किसी भी पौधे के लिए धूप बहुत जरूरी है। यह नियम सब्जियों के पौधों पर भी लागू होता है। अंकुर फूटते समय बीजों को धूप लगना जरूरी है। ऐसा न करने पर ये आकार में छोटे और कमजोर रह जाएंगे। रोजाना 3-4 घंटे की धूप काफी है लेकिन गर्मियों में दोपहर की कड़ी धूप से पौधों को बचाएं। इसके लिए पौधों के थोड़ा ऊपर एक जालीदार शेड बनवा दें तो बेहतर है।

- ज्यादा पानी से मिट्टी के कणों के बीच मौजूद ऑक्सिजन पौधों की जड़ों को नहीं पहुंच पाती इसलिए जब गमले सूखे लगें, तभी पानी डालें। मौसम का भी ध्यान रखें। सर्दियों में हर चौथे-पांचवें दिन और गर्मियों में हर दूसरे दिन पानी डालना चाहिए। बारिश वाले और उससे अगले दिन पौधों में पानी देने की जरूरत नहीं होती।

- पानी सुबह या शाम के वक्त ही देना चाहिए। भूलकर भी तेज धूप में पौधों में पानी न डालें। इससे पौधों के झुलसने का खतरा रहता है।

- अगर किसी वजह से पौधों को अकेला छोड़कर कुछ दिनों के लिए बाहर जाना पड़े, तो उनके गमलों में पानी ऊपर तक भर दें। गर्मियों में गमलों को किसी टब में रखकर, टब में भी थोड़ा पानी भर दें।

- अगर 10-15 दिनों के लिए घर से बाहर जा रहे हैं तो जाने से पहले गमले या पॉट में लीचन मॉस तालाब में उगने वाले कुछ खास पौधे जो नर्सरी से मिल जाएंगे को अच्छी तरह बिछा कर पानी डालें इससे लंबे समय तक पौधों में नमी बनी रहेगी।

खाद कितना लगाएं

किसी भी पौधे को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती। आमतौर पर पौधे लगाते समय और दोबारा उनमें फल-फूल या सब्जी आते समय खाद दी जाती है। खाद हमेशा जैविक ऑर्गनिक ही इस्तेमाल करें। यह खाद जीवों से बनती है, जैसे गोबर की खाद, पशुओं-मनुष्यों के मल-मूत्र से बनने वाली खाद आदि। इनमें हानिकारक केमिकल्स नहीं होते।

- नीम, सरसों या मूंगफली की खली भी खाद के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इनमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।

- किसी अच्छी नर्सरी से ऑर्गेनिक खाद के पैकेट मिल जाते हैं। यह आमतौर पर 40 से 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलती है।

नोट- खाद तभी डालें, जब गमलों की मिट्टी सूखी हो। खाद देने के बाद मिट्टी की गुड़ाई कर दें। इसके बाद ही पानी दें।

खुद तैयार करें खाद

- कंपोस्ट यानी कूड़े से बनी खाद आप इसे नर्सरी से खरीद सकते हैं या खुद भी बना सकते हैं, लाल मिट्टी, रेत और गोबर की खाद बराबर मात्रा में मिलाएं। अगर जगह हो तो कच्ची जमीन में एक गहरा गड्ढा खोदें, वरना एक बड़ा मिट्टी का गमला लें। इसके तले में मिट्टी की मोटी परत डालें। इसके ऊपर किचन से निकलने वाले सब्जियों और फलों के मुलायम छिलके और गूदा डालें। अगर यह कचरा काफी गीला है तो इसके ऊपर सूखे पत्ते या अखबार डाल दें। इसके ऊपर मिट्टी की मोटी परत डालकर ढक दें। गड्ढा या गमला भरने तक ऐसा करते रहें। इस मिश्रण के गलकर एक-तिहाई कम होने तक इंतजार करें। इसमें तकरीबन 3 महीने लगते हैं। अब इस खाद को निकालकर किसी दूसरे गमले में मिट्टी की परतों के बीच दबाकर सूखे पत्तों से ढककर रख दें। 15 से 20 दिन में यह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगी। मिट्टी के साथ मिलाकर सब्जियां और फल उगाने के लिए इसका इस्तेमाल करें। खाली हुए गड्ढे या गमले में खाद बनाने की प्रक्रिया दोहराते रहें।

- बाजार से सरसों की खली खरीदकर लाएं। खली को पौधों में डालने के लिए इस तरह पानी में भिगोकर रात भर रखें कि अगले दिन वह एक गाढ़े पेस्ट के रूप में तैयार हो जाए। इस पेस्ट को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाकर इसे अपने गमलों में डालें। मिट्टी और खली का अनुपात 10:1 होना चाहिए यानी 10 किलो मिट्टी में 1 किलो खली मिलाएं। इसे गमलों में डालने के बाद मिट्टी की गुड़ाई कर दें ताकि खली वाली मिट्टी गमले की मिट्टी के साथ मिल जाए।

कीड़े से कैसे निपटें

- मार्केट में नीम खली या नीम का तेल आता है। पैकेट पर लिखी मात्रा के अनुसार पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें। इससे कीड़े मर जाते हैं।

- कीड़े मारने की दवा खुद भी तैयार कर सकते हैं। गोमूत्रए गाय के दूध से बनी लस्सी बराबर मात्रा ले लें। फिर इसमें थोड़े-से नीम के पत्ते, आक के पत्ते और धतूरे के बीज कूटकर डाल दें। सर्दियों में 15-20 दिन और गर्मियों में एक हफ्ता छोड़ दें। फिर छान लें और स्प्रे बोतल में भर लें। एक हिस्सा दवा लें और 50 हिस्सा पानी। फिर पौधों पर छिड़काव करें। यह दवा कीड़े मारने के अलावा, फंगस को दूर करती है।

कुछ और टिप्स

- गमलों या क्यारियों की मिट्टी में हवा और पानी अच्छी तरह मिलता रहेए इसके लिए पौधों की गुड़ाई करना जरूरी है। गमलों की मिट्टी में उंगली गाड़कर देखें। अगर मिट्टी बहुत सख्त है तो गुड़ाई करें। कम-से-कम महीने में एक बार मिट्टी की गुड़ाई करें।

- बारिश खत्म होने के बाद हर साल अगस्त-सितंबर में सारे पौधों की जड़ें निकाल दें और उन जड़ों को मिट्टी में ही मिला दें। इसे पौधा बड़ा होता रहेगा लेकिन उसकी जड़ें नहीं फैलेंगी।

- अंडों और फलों के छिलकों को भी मिट्टी में डाल सकते हैं। इससे पौधों को पोषण मिलता है।

- एस्प्रिन की गोली पौधों को सुरक्षा कवच देती है और फंगस का बनना रोकती है। साथ हीए ग्रोथ भी बढ़ाती है। एक डिस्प्रिन करीब एक मग पानी में मिलाएं और पौधों पर स्प्रे करें।

गार्डनिंग का गणित

1 स्क्वेयर मीटर हर साल औसतन = 25-35 किलो सब्जियां

अगर सही ढंग से किचन गार्डनिंग की जाए तो 1 स्क्वेयर मीटर जगह में आप सालाना 25 से 35 किलो मनचाही सब्जियां और फल उगा सकते हैं।

अगर छत पर बनाएं गार्डन

अगर आप घर बनवा रहे हैं और आपकी इच्छा टेरस गार्डनन बनाने की है तो कुछ बातों का ख्याल रखेंगे तो आगे जाकर सीलन और दूसरी परेशानियों से बच जाएंगे। इसके लिए छत बनवाते वक्त ही कंक्रीट में वॉटर प्रूफिंग के लिए केमिकल कोटिंग करते हैं, वहीं कुछ लोग मेंब्रेनन शीट लगाते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मेंब्रेन शीट का खर्च केमिकल कोटिंग से तीन-चार गुना ज्यादा बैठता है। आजकल वॉटर प्रूफिंग के लिए 10 रुपये प्रति स्क्वेयर फुट का अतिरिक्त खर्च आता है, वहीं मेंब्रेन शीट के लिए यह 30 से 40 रुपये प्रति स्क्वेयर फुट लगेगा। कोटिंग या मेंब्रेन शीट लगाने के बाद प्लास्टर की प्रोटेक्शन की जाती है। इसके बाद ड्रेन बोर्ड प्लास्टिक की शीट लगाई जाती है। और सबसे ऊपर जियोटेक्सटाइल क्लॉथ लगाते हैं। आखिर काम है इसके ऊपर मिट्टी और खाद डालने का। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्लास्टर करते समय ही एक ड्रेनेज सिस्टम भी बनाना होता है ताकि अगर बारिश हो तो अतिरिक्त पानी गार्डन में जमा न हो। साइट इंजीनियर पी. सिंह बताते हैं कि अगर छत 15 या 20 साल से ज्यादा पुरानी है तो छत पर ज्यादा मिट्टी डालना ठीक नहीं है। पहले आप किसी आर्किटेक्ट या स्ट्रक्चर इंजीनियर को बुलाकर छत दिखा दें। अगर उनका सुझाव हो कि छत को गार्डनिंग के लिए तैयार किया जा सकता है। जहां तक टेरस पर गमलों को रखने की बात है तो इसमें ज्यादा समस्या नहीं है। 100-125 किलो मिट्टी समेत कुल वजन रख सकते हैं।

ज्यादा जानकारी के लिए FB पेज

Organic Kitchen Gardening
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Vegetable Gardening
Organic Terrace Gardening

वेबसाइट्स

growveg.com

इस वेबसाइट से आपको घर पर लगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में ढेर सारी जानकारी मिल सकती है।

kgi.org

किचन गार्डन इंटरनैशनल नामक यह वेबसाइट आपको पेड़.पौधों से जुड़े ढेर सारे फोरमए ब्लॉग्स से लेकर रेसिपी तक मुहैया कराती है।

मोबाइल ऐप्स

Gardroid- Vegetable Garden

यह ऐप आपको सब्जियां उगाने और उनकी देखभाल करने के तमाम टिप्स मुहैया कराता है।

Garden Manager

यह ऐप आपको बीज लगाने से लेकर पानी देने और खाद डालने तक के लिए रिमाइंड कराता है ताकि आप अपने पौधों की देखभाल करना न भूलें।

English Summary: Now cities will grow in cities, fresh green fruits and vegetables Published on: 07 February 2018, 11:20 PM IST

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