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गुणों का एक मात्र खज़ाना : तिल

आज हम बात कर रहे गुणों से भरपूर तिल के बारे में, जो हम सर्दियों की मौसम में बहुत ज्यादा उपयोग करते है क्योंकि यह काफी ज्यादा गर्म होते है | वैसे तो यह तीन प्रकार के होते है | लाल ,काले और सफ़ेद | काले तिलों के ज्यादातर औषद्यि के तोर पर इस्तेमाल किया जाता है |

आज हम बात कर रहे गुणों से भरपूर तिल के बारे में, जो हम सर्दियों की मौसम में बहुत ज्यादा उपयोग करते है क्योंकि यह काफी ज्यादा गर्म होते है | वैसे तो यह तीन प्रकार के होते है | लाल ,काले और सफ़ेद | काले तिलों के ज्यादातर औषद्यि के तोर पर इस्तेमाल किया जाता है | सफ़ेद तिलों के तो लोग व्यंजन बनाने में ज्यादा प्रयोग करते है जैसे - रेवड़ी,गच्चक आदि बनाने में इसका उपयोग किया जाता है | भारत में तिल की खेती बहुत अधिक मात्रा में की जाती है इसकी खेती हम हर तरह से कर सकते है स्वतंत्र रूप से भी और या फिर रुई , अरहर, बाजरा ,तथा मूंगफली  आदि किसी भी फसल के साथ हम मिश्रित रूप से कर सकते है |तिल उत्पादन के क्षेत्र में भारत के प्रमुख स्थान का दर्ज़ा दिया गया है |

तिल के उपयोगी फायदे :-

दांतो के रोग :-

1. 25 ग्राम तिल चबा-चबाकर खाने से दांत मजबूत होते है |

2. 5 -10 मिनट रखने से मुँह में पायरिया ठीक हो जाता है जितना हो सके मीठे से परहेज करे |

कान के रोग :-

1. तिल के तेल में लहसुन की कलिया डालकर उसे गर्म करके कान में डाले इस से बहरापन ,कान के कीड़े सब ठीक हो जाते है |

ज़ख्म :-

1. तिल के तेल को रुई के फोहे से घावों पर लगाने से ठीक हो जाते है या फिर ज़ख्म पर इसकी पट्टी बांधने से भी ज़ख्म पर जल्दी प्रभाव पड़ता है |

फोड़े -फुंसिया :-

1. तिल के तेल  में भिलावे मिलाकर  पकाएं जब यह जल जाये तो इसमें 30 ग्राम सेलखड़ी को पीसकर  मिला दे | इसको फोड़े -फुंसिया पर लगाने से लाभ मिलता है |हर प्रकार का ज़ख्म ठीक हो जाता है | इसको लगाने के लिए मुर्गी पंख का उपयोग करे |

एड़ियां फटना :-

1. देशी पीला मोम 10 ग्राम और तिल का तेल 10 मिमी को मिलाकर गर्म करके पेस्ट बना ले|इसे एड़ियों पर लगाने से काफी हद तक लाभ मिलता है|

कब्ज़ :-

1. 6 ग्राम तिल को पीसकर उसमे थोड़ा मीठा मिलाकर खाने से कब्ज़ जैसी समस्या से निजात मिलती है |

2. तिल ,चना और मूंग की दाल के मिलाकर खिचड़ी बनाकर खाने से कब्ज़ से छुटकारा मिलता है और पेट भी साफ़ रहता है|

आँखों का रोग :-

1. काले तिलों का ताज़ा तेल रोज़ाना आँखों में डालने से आंखे हर प्रकार की तकलीफ से दूर रहती है और सदैव उनकी दृष्टि तेज बनी रहती है |

 बालो के रोग :-

1. तिल की जड़ों और पत्तो का काढ़ा बना कर उससे बालो के अच्छे से धोएं इससे बाल मजबूत और काले होंगे|

2. तिल के तेल के रोज़ाना लगाने से बाल असमय सफ़ेद नहीं होते और कोमल और चमकदार बने रहते है |

खांसी :- 

1. 100 मिमी काढ़े में 2 चम्मच चीनी मिलाकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है |

2. 4 चम्मच  तिल में 1 गिलास पानी मिलाकर उसे उबाले इस मिश्रण के दिन में 3 बार पिए | 

गर्भाशय  रोग :-

1. आधा ग्राम तिल का चूर्ण को दिन में 3-4  बार सेवन करने से गर्भाशय में जमा खून बिखर जाता है|और कष्ट भी दूर हो जाता है |

2. १०० मिमी काढ़ा प्रतिदिन लेने से मासिकधर्म में होने वाले गर्भाश्य के कष्ट दूर हो जाता है|

मर्दाना ताकत :-

1. तिल और अलसी का 10 मिमी पानी में उबालकर सुबह -शाम भोजन से पहले पीने से मर्दाना कमजोरी से निजात मिल जाती है     

मुहांसे :-

1. तिलो की छाल को सिरके के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते है |

स्त्री रोग :-

1. लगभग 6-10 गर्म काले तिलों का चूर्ण गुड़ के साथ सुबह और शाम लेने से स्त्री रोग में लाभ मिलता है       

सूजन  :-

1. 2 चम्मच तिल पीसकर भैंस के मक्खन और दूध में मिलाकर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन ख़त्म हो जाती है|

एड़ियां फटना :-

1. देशी पीला मोम 10 ग्राम और तिल का तेल 10 मिमी को मिलाकर गर्म करके पेस्ट बना ले | इसे एड़ियों पर लगाने से काफी हद तक लाभ मिलता है |

कब्ज़ :- 

1. 6 ग्राम तिल को पीसकर उसमे थोड़ा मीठा मिलाकर खाने से कब्ज़ जैसी समस्या से निजात मिलती है|

2. तिल ,चना और मूंग की दाल को मिलाकर खिचड़ी बनाकर खाने से कब्ज़ से छुटकारा मिलता है और पेट भी साफ़ रहता है|

आँखों का रोग :- 

1. काले तिलों का ताज़ा तेल रोज़ाना आँखों में डालने से आंखे हर प्रकार की तकलीफ से दूर रहती है और सदैव उनकी दृष्टि तेज बनी रहती है|

बालो के रोग :-

1. तिल की जड़ों और पत्तो का काढ़ा बना कर उससे बालो को अच्छे से धोएं इस से बाल मजबूत और काले होंगे|

2. तिल के तेल को रोज़ाना लगाने से बाल असमय सफ़ेद नहीं होते और कोमल और चमकदार बने रहते है|

खांसी :-

1. 100 मिमी काढ़े में 2 चम्मच चीनी मिलाकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है |

2. 4 चम्मच तिल में 1 गिलास पानी मिलाकर उसे उबाले इस मिश्रण के दिन में 3 बार पिएं| 

गर्भाशय  रोग :-

1. आधा ग्राम तिल का चूर्ण को दिन में 3-4  बार सेवन करने से गर्भाशय में जमा खून बिखर जाता है और कष्ट भी दूर हो जाता है|

2. १०० मिमी  काढ़ा प्रतिदिन लेने से मासिकधर्म में होने वाले गर्भाश्य का कष्ट दूर हो जाता है |

मर्दाना ताकत :-

1. तिल और अलसी का 10 मिमी पानी में उबालकर सुबह -शाम  भोजन से पहले पीने से मर्दाना कमजोरी से निजात मिल जाती है     

मुहांसे :-

1. तिलो की छाल को सिरके के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते है|

स्त्री  रोग :-

1. लगभग 6-10 गर्म काले तिलों का चूर्ण गुड़ के साथ सुबह और शाम लेने से स्त्री रोग में लाभ मिलता है         

 सूजन  :-

1. 2 चम्मच तिल पीसकर भैंस के मक्खन और दूध में मिलाकर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन ख़त्म हो जाती है|

तिलों के नुक्सान :-

गर्भवती स्त्री को जितना हो सके इस से परहेज करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से गर्भ गिरने की आशंका रहती है|क्योंकि यह बहुत गर्म होते है जो की गर्भवती अवस्था में लेना हानिकारक होता है|

English Summary: The Only Treasures of Properties: Mole Published on: 22 September 2018, 05:22 AM IST

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