मई के खत्म होते ही जून से लेकर जुलाई तक किसान तालाब में सिंघाड़े की
बुआई कर छह महीने बाद ही अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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सिंघाड़े की खेती करने के लिए आमतौर पर छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े
के पौधे में से एक-एक मीटर लंबी बेल तोड़ कर रोपाई करनी पड़ती है.
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सिंघाड़े की नर्सरी में सिंघाड़े के बीज से पौधा तैयार होने में करीब दो
महीने का समय लगता है. वहीं बेल की रोपाई करने के तकरीबन तीन महीने बाद सिंघाड़े फल देना शुरू कर
देते हैं.
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सिंघाड़ा की नर्सरी लगाने के लिए पौधों के बीच में बराबर दूरी रखना चाहिए.
जिसे पौधे स्वस्थ रहे और नर्सरी के खराब होने की चांसेज कम हो.
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सिंघाड़ा किसानों के लिए कमाई का अच्छा विकल्प है. इसलिए किसानों को
सिंघाड़े की लाल चिकनी गुलरी, लाल गठुआ, हरीरा गठुआ, कटीला जैसी किस्मों की रोपाई करनी चाहिए.