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पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला देवदार
वृक्ष कई तरह की खूबियों को समेटे हुए है. इस पेड़ की लकड़ी बहुत ही मजबूत एवं सख्त होती
है
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इस लकड़ी से तमाम तरह के फर्नीचर्स में इसका उपयोग
होता है
वैज्ञानिक भाषा में सिड्रस देवदार नाम
से प्रसिध्द ये पेड़ 3500 से 12000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाता है
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देवदार पेड़ लंबाई में 45 मीटर या उससे
कुछ अधिक हो सकता है
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पहाड़ी क्षेत्रों में यह पेड़ भूगोलिक, सांस्कृतिक एवं भौतिक महत्वता रखता
है. इसी कारण से हिमाचल में इसे राज्य वृक्ष का दर्जा दिया गया है
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इस पेड़ की पत्तियों में एक खास गुण होता है जो आंतो की सूजन को कम करने
में सहायक होता है. पथरी के अधिकतर दवाईयां इसी पेड़ से बनाई जाती है
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किसी भी तरह के पुराने घाव को भरने में इसकी लकड़ी सहायक है. इसकी लकड़ी को
गुनगुने काढ़े के रूप में पीने से गुदा के सभी प्रकार के घाव नष्ट हो जाते हैं
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इस पेड़ की कई प्रजातियां हैं. कुछ प्रजातियां जैसे- स्निग्धदार और
काष्ठदार को विशेष लकड़ी के तेल और दवा बनाने के लिए जाना जाता है
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