रबी के सीजन में जितनी उपयोगी गेंहू की फसल होती है, उतनी ही सरसों की भी. जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे, सरसों के तेल की मांग मार्किट में जोरों-शोरों से होती है. देश के आधे से ज्यादा लोग सरसों के तेल में बने खाने को पसंद करते हैं, और इसलिए भारत के किसान सरसों की भी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. ऐसे में आइए सरसों की पांच उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
पूसा अग्रणी
पूसा अग्रणी सरसों की यह किस्म किसानों को कम समय में ज्यादा उपज देने की क्षमता रखती है, जो लगभग 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसानों को अच्छी तेल मात्रा मिलती है और अगर इस किस्म की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में की जाए तो लगभग 13.5 से 17.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज प्राप्त की जा सकती है.
पूसा तारक
सरसों की इस किस्म को कम अवधि वाली किस्मों में जाना जाता है. यह किस्म 121 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह किस्म बेहद उपयोगी है. अगर सरसों की इस किस्म की बुवाई सितंबर-दिसंबर के दौरान की जाए तो किसान 19.24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की बंपर पैदावार कर सकते हैं.
पूसा सरसों 25
अगर किसान सरसों की इस किस्म की खेती करते हैं, तो वह अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं. यह किस्म राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है. यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो लगभग 107 दिनों में पककर 14.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है. इस किस्म की खासियत यह है कि यह बीमारी रहित रहती है और माहू जैसे कीटों का प्रकोप नहीं होता. इसके अलावा इस किस्म में 39.6% तेल की मात्रा पाई जाती है.
पूसा सरसों 27
पूसा सरसों की यह किस्म अंकुरण और बीज विकास के दौरान उच्च तापमान के प्रति मध्यम सहनशील है. यह कम समय में पकने वाली किस्मों में आती है और बुवाई के लगभग 118 दिनों में किसानों को लगभग 15.35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्रदान कर सकती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान (कोटा) के किसान इस किस्म की बुवाई से अच्छी कमाई कर सकते हैं.
पूसा सरसों 28
पूसा सरसों 28 यह किस्म हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के लिए नंबर वन किस्मों में आती है. यह केवल 105 से 110 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म से किसान लगभग 17.5 से 19.93 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार कर सकते हैं. इसके अलावा यह किस्म उच्च तापमान सहन करने की क्षमता रखती है और कई फसलों के बीच (कैच क्रॉप) उगाई जा सकती है.