आजकल रसायन मुक्त खेती पर बहुत ज़ोर दिया जा रहा है. विभिन्न प्रदेश सरकारों के साथ साथ भारत सरकार भी जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती पर विशेष बल दे रही है. जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती के इस दौर में जैव-उत्पादों जैसे जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, और जैव प्रोत्साहक (बायोस्टिमुलेंट्स) का कृषि एवं उद्यान मे प्रयोग कई गुना बढ़ गया है. कृषि एवं उद्यान में जैविक उत्पादों का उपयोग सतत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने, मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने, और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. जैविक उत्पाद जैसे जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, और जैव प्रोत्साहक (बायोस्टिमुलेंट्स) आज किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो गए हैं. इन उत्पादों का सही रखरखाव उनकी प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं में पर ध्यान दिया जाना अति आवश्यक है जैसे...
जैव उर्वरकों का रखरखाव
जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, और फास्फेट सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया (पीएसबी) का उपयोग फसल की उत्पादकता बढ़ाने और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए किया जाता है. इनका रख-रखाव निम्नलिखित तरीकों से किया जाना चाहिए:
भंडारण तापमान: जैव उर्वरकों को 15-25°C तापमान पर रखें. उच्च तापमान इन जीवाणुओं की सक्रियता को नुकसान पहुंचा सकता है.
शुष्क स्थान: भंडारण क्षेत्र शुष्क और हवादार होना चाहिए. आर्द्रता से बचाव आवश्यक है.
प्रकाश से बचाव: जैव उर्वरकों को सीधे सूर्य के प्रकाश में रखने से उनके सूक्ष्मजीव मर सकते हैं.
समाप्ति तिथि: उत्पाद की समाप्ति तिथि का ध्यान रखें और पुरानी सामग्री का उपयोग न करें.
जैव कीटनाशकों का रखरखाव
जैव कीटनाशक जैसे बैसिलस थुरिंजिएन्सिस (BT), ब्यूवेरिया बेसियाना, और ट्राइकोडर्मा का उपयोग कीटों और रोगजनकों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इनका रखरखाव इस प्रकार करें:
ठंडी और सूखी जगह: जैव कीटनाशकों को 10-20°C तापमान पर ठंडी और सूखी जगह पर स्टोर करें.
पैकेजिंग का ध्यान: उत्पाद को उसके मूल पैकेजिंग में ही रखें ताकि वह बाहरी नमी और हवा से बचा रहे. मिश्रण सावधानियां इन्हें रासायनिक कीटनाशकों के साथ न मिलाएं क्योंकि इससे जैव कीटनाशक की प्रभावशीलता कम हो सकती है.
उपयोग समय: उपयोग से पहले ही इन्हें मिलाएं, क्योंकि तैयार घोल ज्यादा समय तक उपयोगी नहीं रहता.
जैव प्रोत्साहकों का रखरखाव
जैव प्रोत्साहक जैसे समुद्री शैवाल अर्क, ह्यूमिक एसिड, और माइकोराइजा पौधों के विकास को बढ़ाने में सहायक होते हैं.
सही तापमान: इन्हें 5-25°C के बीच स्टोर करें.
सुरक्षित कंटेनर: जैव प्रोत्साहकों को रिसाव-रोधी कंटेनरों में स्टोर करें.
पारदर्शिता से बचाव: पारदर्शी पैकेजिंग सामग्री से बचें क्योंकि प्रकाश उत्पाद को नुकसान पहुंचा सकता है.
अनुपात में उपयोग: इन्हें निर्दिष्ट अनुपात में ही उपयोग करें. अधिक मात्रा में उपयोग से पौधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
उत्पादों का परिवहन और प्रबंधन
जैविक उत्पादों के परिवहन और प्रबंधन में निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए....
सावधानीपूर्वक परिवहन: उत्पादों को ढोते समय अत्यधिक गर्मी या झटकों से बचाएं.
लेबलिंग का ध्यान: भंडारण और परिवहन के दौरान सभी कंटेनरों पर सही लेबल लगे होने चाहिए.
अलग-अलग स्टोरेज: जैविक उत्पादों को रासायनिक उत्पादों से अलग स्टोर करें.
उत्पादों का उपयोग करने से पहले ध्यान देने योग्य बातें
निर्देशों का पालन: प्रत्येक उत्पाद के साथ दिए गए उपयोग के निर्देशों को पढ़ें और उनका पालन करें.
फसल विशेषता: उत्पाद का चयन फसल की आवश्यकता और मिट्टी की स्थिति के अनुसार करें.
समाप्ति तिथि: केवल ताजा और सही समय सीमा के भीतर निर्मित उत्पादों का उपयोग करें.
सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
पर्यावरण संरक्षण: जैविक उत्पादों के उपयोग से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अतः इन्हें रसायनों के विकल्प के रूप में बढ़ावा दें.
किसानों की प्रशिक्षण: किसानों को इन उत्पादों के सही उपयोग और रखरखाव के लिए नियमित प्रशिक्षण प्रदान करें.
सामान्य सावधानियां
दूषित स्थान से बचाव: उत्पादों को गंदे और दूषित स्थान पर न रखें.
पुनः उपयोग: उपयोग किए गए कंटेनरों को पुनः उपयोग में लाने से बचें.
स्थानीय जलवायु: भंडारण के लिए स्थानीय जलवायु परिस्थितियों का ध्यान रखें.