PM Kisan Yojana 21वीं किस्त: नवंबर के किस सप्ताह में आएंगे पैसे? जानिए लेटेस्ट अपडेट और संभावित तारीख गेंहू की इन टॉप 10 किस्मों से किसान प्राप्त कर सकते हैं 80 क्विंटल तक पैदावार, जानें अन्य खासियत! राज्य सरकार की बड़ी सौगात! 90% सब्सिडी पर मिलेगा सोलर पंप, जानें कैसे मिलेगा लाभ किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 14 November, 2025 11:02 AM IST
‘पूसा अगेती मसूर’ (Image Source - AI generate)

भारत में दालों का उत्पादन न केवल किसानों की आमदनी का एक प्रमुख स्रोत है, बल्कि देश की पोषण सुरक्षा का भी अहम आधार है। इन्हीं में से एक प्रमुख फसल है मसूर (Lentil), जो रबी सीजन में देश के कई राज्यों में बोई जाती है। हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR–IARI) ने मसूर की एक उन्नत और पोषक तत्वों से भरपूर किस्म विकसित की है - ‘पूसा अगेती मसूर (Pusa Ageti Masoor)’, जो कम समय में पकने वाली और उच्च उत्पादकता वाली किस्म है। यह किसानों को बेहतर उपज और अधिक लाभ देने में सक्षम है।

 

कम समय में तैयार होने वाली उन्नत किस्म

पूसा अगेती मसूर किसानों के लिए लाभदायक किस्म साबित हो रही है क्योंकि यह केवल 100 दिनों में ही पककर तैयार हो जाती है, जबकि पारंपरिक किस्मों को पकने में सामान्यतः 110 से 120 दिन लगते हैं। इससे किसान कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और अगली फसल की तैयारी भी समय पर कर सकते हैं।

इन क्षेत्रों में देगी बंपर पैदावार

ICAR द्वारा विकसित मसूर की यह किस्म कम अवधि में अधिक पैदावार देने वाली है। यदि निम्नलिखित क्षेत्रों के किसान इसकी खेती करते हैं, तो उन्हें बेहतर उपज और मुनाफा मिल सकता है—

  • उत्तर प्रदेश

  • मध्य प्रदेश

  • छत्तीसगढ़

बेहतर उपज क्षमता

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पूसा अगेती मसूर की औसत अनाज उपज 13.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक दर्ज की गई है। अन्य पारंपरिक किस्मों की तुलना में यह अधिक उत्पादक है और वर्षा आधारित (Rainfed) क्षेत्रों में भी बेहतर परिणाम देती है। इसके अलावा, सीमित सिंचाई वाले किसान भी इस किस्म की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

उच्च लौह तत्व से भरपूर

इस किस्म की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें लौह (Iron) की मात्रा 65 पीपीएम पाई गई है, जबकि अधिकांश पारंपरिक किस्मों में यह मात्रा केवल 45 से 50 पीपीएम तक होती है। इस कारण से पूसा अगेती मसूर को न्यूट्री-रिच पल्स (Nutri-Rich Pulse) की श्रेणी में रखा गया है। यह किस्म आयरन की कमी (एनीमिया) से पीड़ित आबादी के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

बीज की विशेषताएं

  • इस किस्म के बीज मध्यम आकार के होते हैं।

  • इनमें नारंगी रंग का बीजपत्र (Seed Coat) होता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।

  • बीज समान आकार और चमकदार होते हैं, जिससे बाजार में किसानों को इसके बेहतर दाम मिलते हैं।

 

English Summary: New variety of lentils developed by ICAR will give bumper yield to farmers Know the details here.
Published on: 13 November 2025, 10:59 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now