Author- Lokesh Nirwal
नवंबर 2004 में मशहूर कृषि वैज्ञानिक एम एस
स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था. इसे 'नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स' कहा गया
था
दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 तक इस कमेटी ने
सरकार को छह रिपोर्ट सौंपे. इनमें कई सिफारिशें की गई थीं
स्वामीनाथन आयोग ने अपनी सिफारिश में किसानों
की आय बढ़ाने के लिए उन्हें उनकी फसल लागत का 50 फीसदी ज्यादा देने की सिफारिश की थी. इसे
C2+50% फॉर्मूला कहा जाता है
स्वामीनाथन आयोग ने इस फार्मूले की गणना करने
के लिए फसल लागत को तीन हिस्सों यानी A2, A2+FL और C2 में बांटा था
A2 लागत में फसल की पैदावार करने में सभी नकदी
खर्चे को शामिल किया जाता है. इसमें खाद, बीज, पानी, रसायन से लेकर मजदूरी आदि सभी लागत को
जोड़ा जाता है
A2+FL कैटगरी में कुल फसल लागत के साथ-साथ
किसान परिवार की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है
C2 में नकदी और गैर नकदी लागत के अलावा और
जमीन का लीज रेंट और उससे जुड़ी चीजों पर लगने वाले ब्याज को भी शामिल किया जाता है
स्वामीनाथन आयोग ने C2 की लागत को डेढ़
गुना यानी C2 लागत के साथ उसका 50 फीसदी खर्च जोड़कर एमएसपी देने की सिफारिश की थी