कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्या है? जानें इसके फायदे और नुकसान
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Author-Priyambada Yadav
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में सरकार या बड़े किसान अपनी जमीन को पट्टे
पर या कांट्रेक्ट पर दूसरे किसानों को खेती करने के लिए देते हैं
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने वाले किसान अपनी उपज
कांट्रेक्टर के हिसाब से ही बेचनी पड़ती है. क्योंकि, इसमें फसल के दाम पहले से ही तय कर लिये जाते
हैं
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कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने वाले किसान को लागत और नुकसान
की चिंता नहीं करनी पड़ती. क्योंकि खेती की लागत और उसकी तकनीक की जिम्मेदारी कांट्रेक्टर की होती
है
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अनुबंध खेती यानी कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत बाजार में अच्छे दाम
मिलने के बावजूद रजिस्टर्ड किसान खेत से निकली उपज को सिर्फ कांट्रेक्टर को ही बेचनी पड़ती है
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कांट्रेक्ट फार्मिंग के जरिये किसानों को नई तकनीक सीखने और अच्छी
गुणवत्ता की उत्पादन लेने में मदद मिलती है. इसलिए यह स्टार्ट अप करने वाले या युवा किसानों के लिए
काफी लाभदायक होता है
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कांट्रेक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने पर किसान अपने मन से खेती में
कोई योगदान नहीं दे सकते. क्योंकि किसान को कांट्रेक्टर के बताये गये समय, जमीन, खाद, बीज और तकनीक
का इस्तेमाल करना होता है