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कश्मीरी गुलाब महका रहा मप्र के कई जिलों को, एक माह में कमा रहे 20 हजार रूपये

फूलों का राजा गुलाब अधिकांश लोगों की पसंद होता है। यह सिर्फ महकाने के काम नहीं आता बल्कि इसे कई मौकों पर इस्तेमाल किया जाता है। न सिर्फ मंदिरों में, वरमाला या शादी समारोहों में इसका सजाने के लिए इस्तेमाल होता है बल्कि इसे लोग अपने घरों में भी सजावटी फूलों में तरजीह देते हैं।

फूलों का राजा गुलाब अधिकांश लोगों की पसंद होता है। यह सिर्फ महकाने के काम नहीं आता बल्कि इसे कई मौकों पर इस्तेमाल किया जाता है। न सिर्फ मंदिरों में, वरमाला या शादी समारोहों में इसका सजाने के लिए इस्तेमाल होता है बल्कि इसे लोग अपने घरों में भी सजावटी फूलों में तरजीह देते हैं। यदि प्रेमी-प्रेमिका को अपने प्यार का इजहार करना हो तो भी गुलाब ही वो फूल है जिसके माध्यम से वे अपने दिल की बात अपने पार्टनर को बताते हैं। वेलेंटाइन डे के उपलक्ष्य में सप्ताह भर इसकी खासी मांग होती है। यही नहीं इसके अलग-अलग रंगों की वजह से इसे दोस्ती, शांति, रोमांस, प्यार का इजहार आदि मौकों पर अपने दिलों के जज्बात बयां करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। वहीं खूबसूरती की तारीफ करने के लिए भी एक अलग रंग के गुलाब का इस्तेमाल होता है। यह हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि सर्दी के मौसम में गुलाब की खेती करना लाभदायक होता है। यदि आप घर पर गुलाब के पौधे लगाते हैं तो भी इनकी बढ़वार काफी अच्छी होती है लेकिन आज हम आपको एक खास तरह के गुलाब से रूबरू करवा रहे हैं जिसकी खेती कर धमनौद के एक किसान ने अपनी आमदनी दोगुनी कर ली और सफलता की एक नई इबारत लिखी।

जी हां, वे हैं धमनौद जिला के ग्राम पटलावद के प्रकाश रणछोड़ वर्मा। प्रकाश पिछले एक साल से कश्मीरी गुलाब की खेती कर रहे हैं। वे कहते हैं कि उनके गुलाबों की महक इतनी अधिक है कि पूरा क्षेत्र इसकी खुशबू से महक रहा है। यही नहीं इसकी खूशबू दूसरे जिलों जैसे खरगोन व माहेश्वर तक भी पहुंच रही है। प्रकाश का कहना है कि सीजन होने पर लोग उनसे गुलाब लेने आते हैं। वे इसे ही अपनी आमदनी का जरिया बनाते हुए गुलाब की जैविक खेती कर प्रतिमाह 20 हजार रूपये की आय प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीजन में गुलाब 200 रूपये प्रति किलो बिकने से कमाई चार गुना हो जाती है।

हानि ने दिया सबक और गुलाब की खेती ने दिया लाभ

पिछले कई वर्षों से क्षेत्रीय किसानों को परंपरागत खेती में मौसम की मार पड़ने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था। उनमें से मैं भी एक था लेकिन मैंने नया प्रयोग करने की ठानी और गुलाब की खेती की तरफ कदम बढ़ाया। मैंने एक बीघा में ही गुलाब की खेती करने की शुरूआत की और मुझे इससे आर्थिक लाभ हुआ। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि प्रतिदिन अनुमानित 20 किलो गुलाब खिल रहे हैं जिन्हें बेचकर मैं लगभग ढाई लाख रूपये की आमदनी प्राप्त कर रहा हूं। उनका कहना है कि गुलाबों की मांग समय के साथ-साथ बढ़ रही है तो मैं इसका रकबा बढ़ाने पर भी विचार कर रहा हूं। आपको बता दें कि यह फसल 6 माह में शुरू होती है।

दो दिन तक ताजा रहता है कश्मीरी गुलाब

सामान्य गुलाब यानि कि हैदराबादी वैरायटी से यदि तुलना की जाए तो इस वैरायटी में काफी गुण हैं। यह कम पानी में अधिक उत्पादन, ऊंचाई कम व कांटे रहित होने से तोड़ने की सुविधा रहती है। इस वैरायटी के गुलाबों की खासियत यह है कि ये गुलाब दो दिन तक मुरझाते नहीं हैं इसलिए इनका उपयोग मंदिरों में श्रृंगार व शादी समारोहों में काफी बढ़ गया है। कश्मीरी गुलाब के एक पौधे पर न्यूनतम 30 कली से लेकर अधिकतम 100 कली तक उत्पादन होता है। यह संख्या सामान्य की तुलना में अधिक है। हालांकि प्रकाश को शुरूआत में गुलाब बेचने में काफी परेशानी उठानी पड़ी थी लेकिन उनके गुलाबों की महक व गुणवत्ता के कारण अब इनकी मांग अधिक हो गई है। यही वजह है कि उनके द्वारा उगाए गुलाबों की खुशबू से न सिर्फ उनका गांव बल्कि आसपास के कई जिले महक उठे हैं।

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English Summary: Kashmiri Gulab's fragnance spreading in several districts of MP Published on: 12 February 2018, 01:36 AM IST

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