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क्या आप जानते हैं..?

क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खी पालन से फल, तिलहन और नकदी फसलों की उपज और गुणवत्ता में फायदा होता है? मधुमक्खी पालन के लिए सरकार के नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड से 20 से 55% तक सब्सिडी भी मिलती है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिस में कम लागत और अच्छा मुनाफा है।

क्या आप जानते हैं? 

*क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खी पालन से फल, तिलहन और नकदी फसलों की उपज और गुणवत्ता में फायदा होता है? 

* मधुमक्खी पालन के लिए सरकार के नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड से 20 से 55% तक सब्सिडी भी मिलती है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जिस में कम लागत और अच्छा मुनाफा है। 

* मधुमक्खी पालन में 1 बक्से से औसत 50 से 60 किलो शहद सालाना मिलता है, जो कि थोक भाव में तकरीबन 150 रूपये प्रति किलो से बिकता है। 10 बक्सों से शुरू करने की लागत करीब 40000 रूपये होगी, और 1 साल में 100 बक्से आ जायेंगे। धीरे धीरे बक्सों की मात्रा बढ़ कर 1000 हो जाएगी, जिससे आप सालाना करीब 60 लाख रूपये कमा सकते हैं, मतलब कम से कम 20 - 30 लाख का मुनाफा। 

* 18 दिन में बिना किसी लागत के पाएं जैविक खाद! सूखे पत्ते/घास, हरे पत्ते/घास और गोबर को 9:6:3 के हिसाब से मिलाकर इस्तेमाल करें। इन तीनो परत के बीच में पानी डालना आवश्यक है। चौथे दिन पहली बार हिलाएं, उसके बाद अठारहवें दिन तक हर दुसरे दिन ढेर को अच्छे से हिलाएं ताकि तापमान और नमी बनी रहे। 

*श्री पद्द्ति से फसल की जड़ें मज़बूत होती हैं, धान ज़्यादा साफ़, बेहतर पोलिश वाली, लम्बे आकर की और बहुत स्वस्थ होती है। इस तकनीक में अनेक फायदे मिलते हैं, और साथ ही खरपतवार नियंत्रण, रोपाई कटाई कम लगता है। श्री पद्द्ति में मच्छरों का फसल पर टिकना असंभव हो जाता है, जिससे फसल बीमारियों के हमले से बची रहती है। इस तकनीक में जैविक खाद और उर्वरक डलते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता बढ़ती है और साथ ही मिटटी की उर्वरा शक्ति भी। 

* यदि आपकी मिट्टी का पी एच ज़्यादा है, और उस में जैविक उत्पाद की मात्रा कम है तो फसल में जिंक की कमी हो सकती है। 

* लैटयूस के एक या दो बार पत्ते तोड़ने के बाद फ़सल को बीज उत्पादन के लिए छोड़ दें।

* खुले पत्ते वाले लैटयूस में तुड़ाई तब करें जब पत्तों का आकर ठीक हो जाए और पत्ते नरम हों। और बंद क़िस्म की लैटयूस की तुड़ाई तब करें जब वह बंदगोभी की तरह ठोस हो। लैटयूस में खाद का प्रयोग पालक की तरह ही किया जाता है। गोबर की खाद 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, कैन 250 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर, सूपर फ़ास्फ़ेट 250 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर और म्यूरेट ओफ पोटाश 65 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर लगता है। 

* विदेश में धूम मचाने वाला केल अब आप भी उगा सकते हैं अपने खेत में। गरमियों के अंतिम दिनों से सर्द मौसम में व बसंत के अंत तक। 

* लो टनल तकनीक के साथ इन्टरक्रोप्पिंग भी जोड़ी जा सकती है। मिर्ची की फसल के साथ, खीरा अथवा रंगीन शिमला मिर्च इस तकनीक में अच्छे परिणाम देती है। 

* सरदी के मौसम में फसल के ऊपर टनल बिछा कर उसका तापमान नियंत्रित किया जा सकता है। टनल को सरदी कमहो जाने पर उठा दिया जाता है। इस से फसल कठोर  मौसम में बीमारियों से बच जाती है, और बेहतर गुणवत्ता के अधिक फल फूल देती है। बिन मौसम की फसलें भी इस तकनीक से उगाई जा सकती हैं।

* नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और जिंक, इन सब की उचित मात्रा होने पर भी यदि फसल में बोरॉन की कमी होने से उपज बहुत कम हो जाती है।

* रबर और अनानास की खेती साथ में - बेहतरीन इन्टरक्रोप्पिंग मेल जो करे लागत को कम ! क्या आपने आज़माया है?

* क्या आप जानते हैं कि बोरॉन आपकी फसल को हर अवस्था में मिलना चाहिए, यदि इसकी कमी हो जाये तो अंतिम कलियाँ मर जाती हैं और फल अच्छी गुणवत्ता के नहीं होते।

* क्या आप जानते हैं की मिट्टी का पी एच कम हो जाने से फॉस्फोरस की उपयोग क्षमता बहुत कम हो जाती है। 

* धनिया की खेती के लिए बीज को दो हिस्सों में काट कर ही बुवाई करें, अन्यथा वे अंकुरित नहीं हो पाएंगे। बुवाई से पहले बीज को 6 - 10 घंटे तक भीगा लें, ऐसा करने से अंकुरण बेहतर होगा। बीज का अजोस्पॉरिलम और ट्राईकोडर्मा से उपचार ज़रूर करें। 

* यदि आपके धनिया के पौधे के पत्ते पीले पढ़ रहे हैं, तो यह नाइट्रोजन या मैग्नीशियम की कमी के कारण हो सकता है। चिकन की खाद नाइट्रोजन से भरपूर होती है - इसका प्रयोग करें। साथ में एप्सम नमक भी डालें ताकि मैग्नीशियम की कमी पूरी हो सके। 

* विदेशी सब्ज़ियों की खेती से कमाएँ अच्छा मुनाफ़ा, लैटयूस की खेती अपनाएँ। इस को सितम्बर से नवम्बर के बीच में बोया जाता है, बीज की मात्रा 400-500 ग्राम प्रति हेक्टेयर लगती है।लैटयूस में खाद का प्रयोग पालक की तरह ही किया जाता है। 

* क्या आप जानते हैं कि प्रमाणित बीज को 3 बार (3 मौसम) तक इस्तेमाल किया जा सकता है? यदि आपने प्रमाणित बीज पिछले साल ख़रीदे थे, तो आप उन्हें साफ़ कर अंकुरण जाँच पश्चात बुवाई के लिए इस साल भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 

* सालाना तकरीबन 45 हजार रुपये तक की बचत, एक हजार वॉट क्षमता की सौर पंप पर डीजल पंप की तुलना में, जो चालीस हजार लीटर पानी प्रति दिन के हिसाब से दो एकड़ भूमि की सिंचाई कर सकती है। पांच हार्स पॉवर की क्षमता वाली सौर पंप की कीमत तकरीबन 4,39,000 रुपए है। भारत के कुछ राज्यों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अस्सी फीसदी तक सब्सिडी दिया जाता है। देसी जुगाड़ तकनीक से बना यह कोल्ड स्टोरेज आपको अपने प्याज़ की फसल के लिए दिलाये अच्छे दाम - बंद कमरे में लोहे की जाली को जमीन से 8 इंच ऊंचा बिछा कर उसके ऊपर प्याज का स्टोरेज करें। लगभग 100 स्क्वेयर फीट की दूरी पर एक बिना पेंदे की कोठी रख कर ड्रम के ऊपरी हिस्से में एग्जॉस्ट पंखे लगा लें। पंखे की हवा जाली के नीचे से प्याज के निचले हिस्से से उठ कर ऊपर तक आती है। इससे पूरे प्याज में ठंडक रहती है। दोपहर में हवा गर्म होती है, इसलिए दिन की बजाय रातभर पंखे चलाते हैं।

आने वाली फ़सल के बीजों को पंक्तियों में ही बोएँ। ऐसा करने से बीज की मात्रा कम लगने के साथ साथ पौधों की मात्रा बढ़ती है और वे स्वस्थ भी रहते हैं।

 

* पंचगव्य बनाने की विधि ! घर पर आसानी से बन जाने वाली यह खाद - पंचगव्य - फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाती है, फसल को जल्दी तैयार करती है, पानी की ज़रुरत और लागत को कम करती है, साथ ही रोग से प्रभावित पौधे और दूसरे जीव को भी ठीक करती है। 20 लीटर पंचग्वय बनाने के लिए निम्न निवेश या सामग्री...         

– पानी मिला हुआ गोबर - 5 किलो
– गोमूत्र - 3 लीटर
– गाय का दूध - 2 लीटर
– गाय का दही - 2 लीटर
गाय का घी - 1 किलो
अच्छी तरह से पका हुआ पीला केला - एक दर्जन (12 केला)
नर्म नारियल का पानी - 3 लीटर
गन्ने का रस - 3 लीटर (या तीन लीटर पानी में आधा किलो गुड़ मिला हुआ हो)

 

* क्या आप जानते हैं कि बैंगन का पौधा जिसे खुले खेत में बहुत कीड़ा लगता है, उसको पॉलीहाउस में ना कीड़ा लगता है, ना सर्दी गरमी या आँधी तूफ़ान का प्रभाव, और साथ ही पैदावार खुले खेत के मुक़ाबले 5-6 गुना ज़्यादा होती है 

* नैशनल हॉर्टिकल्चर मिशन दे रहा है 50% की सब्सिडी, 18 लाख रुपए तक, सर्व साधारण पॉलीहाउस पर! गुलाब कार्नेशन, लिली, जेरबेरा जैसे फूल और विदेशी सब्ज़ियाँ जैसे बिना बीज वाला खीरा, चेरी टमाटर, लेटुस आदि अब उगाना हुआ आसान। अधिक जानकारी के लिए 011-23382543 पर कॉल करें, अथवा midhinfo@gmail.com पर मेल करें। 

* क्या आप जानते हैं कि यदि फ़ास्फ़ेट और पोटाश की खाद आपके पौधे के जड़ के ठीक नीचे नहीं है, तो पौधा उसको सोख नहीं पाएगा और खाद दूसरी अवस्था में परिवर्तित हो जाएगी। अतः फ़ास्फ़ेट और पोटाश खाद को जड़ क्षेत्र में पहुँचाना अनिवार्य है, तभी उसकी उपयोग क्षमता 20% होगी।

 

* कोल्ड स्टॉरिज (शीतगृह) पर 1.75 करोड़ तक की सब्सिडी। आप 5000 मैट्रिक टन तक के कोल्ड स्टॉरिज (शीतगृह) पर नैशनल हॉर्टिकल्चर मिशन द्वारा 35% की सब्सिडी पा सकते हैं। यदि इस में एक ही तरह की फ़सल रखी जा सकती है तो अनुदान की अधिकतम राशि 1.4 करोड़ है, और विभिन्न फल/सब्ज़ियों के लिए उपयुक्त कोल्ड स्टॉरिज (शीतगृह) पर 1.75 करोड़ तक का अनुदान मिलता है। अधिक जानकारी के लिए 011-23382543 पर कॉल करें, अथवा midhinfo@gmail.com पर मैल करें। 

* मिट्टी रहित खेती - हाइड्रोपोनिक्स - से पानी की 90% तक बचत होती है। इस तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता, जिस के कारण उर्वरक की मात्रा भी ना के बराबर होती है। 

* कैल्शियम पौधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसकी कमी नए पत्तों में दिखाई देती है। अगर आपके पौधों में नए पत्ते ठीक प्रकार से नहीं बढ़ पा रहे हैं अथवा पत्तों पर भूरे धब्बे आ रहे हैं तो यह कैल्शियम की कमी हो सकती है। अपनी फसल में कैल्शियम की कमी पूरे करने के लिए प्रयोग करें कैल्शियम नाइट्रेट।

English Summary: Do you know? Published on: 10 November 2017, 06:15 AM IST

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