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कृषि में कॉल सेंटर की उपयोगिता

भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हडड़ी है। किसान हमारा अन्न दाता है। जैसा कि हम सब जानते है कि कृषि कार्य खेतों पर किये जाते है और खेत शहरों से दूर गाँवों में होते है। कॉल सेंटर एक ऐसा स्थान होता है जहाँ दूरभाष पर विषेषज्ञ या विषेषज्ञों की टीम बैठी होती है

भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हडड़ी है। किसान हमारा अन्न दाता है। जैसा कि हम सब जानते है कि कृषि कार्य खेतों पर किये जाते है और खेत शहरों से दूर गाँवों में होते है। कॉल सेंटर एक ऐसा स्थान होता है जहाँ दूरभाष पर विषेषज्ञ या विषेषज्ञों की टीम बैठी होती है और जो कि किसान भाइयों एवं बहनों की समस्याएं सुनने के पष्चात उनकी समस्याओं का बेहतर समाधान देती है। कॉल सेंटर को हम दो भागों में विभाजित कर सकते है, सरकारी और गैरसरकारी कॉल सेंटर। प्रत्येक कॉल सेंटर का एक टोल फ्री नम्बर होता है जिस पर कृषक भाई और बहने फोन कर सकती है और इस नम्बर पर जब आप बात करते है तो कोई शुल्क आपको नहीं देना पड़ता है। सब कुछ निशुल्क होता है। अतः कृषक भाई एवं बहनें इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते है।

कॉल सेंटरों से होने वाले फायदेः-

- कृषक फोन पर मौसम सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर सकता है। मानसून कब आयेगा ? वर्षा कब होगी, पाला कब पडेगा, कडाके की ठण्ड कब पडने वाली है। गर्मियों में न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान इत्यादि की जानकारी कृषक को पूर्व से प्राप्त हो सकती है जिससे समय रहते वह अपनी फसल को बचाने का प्रयास कर सकता है और फसल को मौसम के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है।

- ऑनलाइन फार्म इन पुटस मँगायें जा सकते है। फार्म इन पुटस जैसे बीज, खाद, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी, कृषि यंत्र इत्यादि भी कॉल सेंटरों द्वारा उपलब्ध कराये जाते है। कृषक अपने कॉल सेंटर पर उसे कौनसी चीज चाहिए वह लिखवा सकता है और उन कॉल सेंटर द्वारा संचालित किसान सेवा केन्द्र (रीटेल सेंटरों) से वह सामान प्राप्त कर सकता है। गैर सरकारी कॉल सेंटरों द्वारा इस प्रकार की सेवाऐं कृषकों को उपलब्ध कराई जाती है। आमतौर पर यह किसान सेवा केन्द्र उनके गाँवों में या उनके निकटतम शहर या कस्बे में होते है जिससे जरिये किसान को घर पहुच सेवाऐं भी प्रदान की जाती है। बहुत सारी कम्पनियाँ इस पर काम भी कर रही है। कृषक को ज्यादा दूर सफर करने की आवश्यकता नहीं हैं जिसके चलते उसका समय एवं खर्च दोनों बचता है और वह अपने खेत पर ज्यादा समय व्यतित कर सकता है।

- कृषक सरकारी और गैरसरकारी योजनाऐं जो उनके क्षेत्र में चल रहीं है। उनकी जानकारी प्राप्त कर सकते है। समय रहते उनका लाभ उठा सकते है।

- कृषकों को नवीनतम कृषि तकनीकों की जानकारी कॉल सेंटरों के जरिये प्राप्त की जा सकती है।

- मृदा एवं पानी हेल्थ कार्ड का विषलेषण और खेत में फसल या बगीचे रासायनिक उर्वरक एवं खाद सम्बन्धित परामर्ष भी कॉल सेंटरों के विषय विषेषज्ञों द्वारा प्राप्त की जा सकती है।

- कृषक भाई एवं बहने रोग एवं कीट सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर सकते है। साथ ही उनको नियंत्रण के तरीकों की जानकारी प्राप्त कर सकते है। कौन सी कीटनाषी या दवाई कारगार होगी उसकी भी सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

- कृषक कॉल सेंटर से तुडाई उपरान्त प्रबन्धन की जानकारी भी प्राप्त कर सकते है। कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चेन मैनेजमेन्ट इत्यादि सम्बन्धित जानकारी भी प्राप्त कर सकते है।

- कृषक मण्डी भाव की जानकारी भी कॉल सेंटरों द्वारा प्राप्त कर सकते है और अपना उत्पाद को सही दाम पर मण्डियों में बेच सकते है।

- कृषक पषुपालन सम्बन्धित जानकारी भी कॉल सेंटरों में बैठे विषेषज्ञों से प्राप्त कर सकते है। जैसे रोग सम्बन्धित, पशुओ के आहार एवं पोषण सम्बन्धित जानकारी इत्यादि।

- कृषक सिंचाई की नवीनतम तकनीकी एवं फर्टीगेषन सम्बन्धित जानकारी भी कॉल सेंटर में बैठे विषेषज्ञों से प्राप्त कर सकता है।

हाल ही में हमने 71वें स्वतंत्रता दिवस को हर्षोंल्लास के साथ मनाया है। आजादी के 71 साल बाद  हमारी कृषि एवं कृषक ने भी काफी तरक्की की है। परम्परागत खेती को छोड़ कृषकों ने हाईटेक खेती की तरफ रूख किया है। युवा कृषक भी अब किसानी के नवीन तरीकों को अपने खेत पर अजमाने लगें है। देश डिजिटल होता जा रहा है। हमारे कृषक भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। युवा वर्ग वाट्सअप इंटरनेट एवं कॉल सेंटरों से जानकारी प्राप्त कर उससे लाभान्वित हो रहे है। हाईटेक खेती ने युवाओं को शहर जाने से रोका है और खेतों में कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

खेती दुनिया के कठिनतम व्यवसायों में से एक है। फसल लगाने से लेकर कटाई तक कृषक की सांसे अटकी रहती है। क्योंकि कृषि मौसम पर निर्भर रहती है और आज मौसम एवं जलवायु में

बदलाव आ रहा है। पर हमारा किसान समस्याओं से घिरे होने के बावजूद भी हार नहीं मानता है और बहादूरी से हर समस्याओं का समाधान करता है और अपना एवं समस्त देश वासियो का पेट भरता है। ऐसे में हमारे देश में चलने वाले सरकारी एवं गैर सरकारी काँल सेन्टर हमारे कृषको का मार्गदर्शन कर रहे है।

अतः कृषक भाई और बहने काँल सेन्टर के टोल फ्री नम्बर पर ज्यादा सम्पर्क करे और निशुल्क विषय विषेषज्ञो द्वारा अपनी समस्याओ का समाधान प्राप्त करे।

राजेष कुमार सैनी

पूर्व कार्यवाहक संयुक्त निदेषक (तकनीकी)

इंटरनेषनल हॉर्टीकल्चर इन्नोवेषन एण्ड ट्रेनिंग सेंटर दुर्गापुरा, जयपुर

(राजस्थान)

मोबाईल न. 9024701474

English Summary: Usefulness of call center in agriculture Published on: 19 February 2018, 11:27 PM IST

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