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अपने मौलिक अधिकारों के लिए कृषि वैज्ञानिको का धरना प्रदर्शन.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आई॰सी॰ए॰आर॰के कृषि वैज्ञानिक हरे, सफेद, नीले और अब इंद्रधनुष क्रांति के प्रमुख योगदानकर्ता हैं. वे धूप छाँव की परवाह किए बिना, देश एवं किसान समुदाय के हित में बदलते जलवायु एवं घटती संसादनों (जैसे कि, मानव एवं वित्त संसादन) के बावजूद खाद्य सुरक्षा केलिए निरंतर अनुसंधान एवं अन्य प्रयासों में जूटे हुए हैं. इनके इस नेक कर्मठता केलिए अन्य राष्ट्रीय अनुसंधान संघठनों के समान प्रशासनिक एवं अन्य बाधाओं ( समय पर वेतन भुगतान, समान कार्य भार आदि ) से मुक्त वातावर्ण की ज़रूरत है. हालांकि, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं ने इनके अनुसंधान वातावरण,गरिमा और आत्म सम्मान को विचलित किया है जिससे वैज्ञानिकों के मनोबल को ठोस नुकसान एवं धक्का प्राप्त हुआ है. निम्नलिखित दो मुद्दे जो आई॰सी॰ए॰आर॰ वैज्ञानिकों की लंबी अवधि से मांग और उनके मूल अधिकार हैं, अभी भी उपेक्षित हैं.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आई॰सी॰ए॰आर॰के कृषि वैज्ञानिक हरे, सफेद, नीले और अब इंद्रधनुष क्रांति के प्रमुख योगदानकर्ता हैं. वे धूप छाँव की परवाह किए बिना, देश एवं किसान समुदाय के हित में बदलते जलवायु एवं घटती संसादनों (जैसे कि, मानव एवं वित्त संसादन) के बावजूद खाद्य सुरक्षा केलिए निरंतर अनुसंधान एवं अन्य प्रयासों में जूटे हुए हैं. इनके इस नेक कर्मठता केलिए अन्य राष्ट्रीय अनुसंधान संघठनों के समान प्रशासनिक एवं अन्य बाधाओं ( समय पर वेतन भुगतान, समान कार्य भार आदि ) से मुक्त वातावर्ण की ज़रूरत है. हालांकि, यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं ने इनके अनुसंधान वातावरण,गरिमा और आत्म सम्मान को विचलित किया है जिससे वैज्ञानिकों के मनोबल को ठोस नुकसान एवं धक्का प्राप्त हुआ है. निम्नलिखित दो मुद्दे जो आई॰सी॰ए॰आर॰ वैज्ञानिकों की लंबी अवधि से मांग और उनके मूल अधिकार हैं, अभी भी उपेक्षित हैं.

 

  • पिछले एक साल से देश के ज़्यादातर अनुसंधान वज्ञानिकों एवं कार्मिकों को सातवा वेतन आयोग के तहत वेतन बढ़ोत्तरी प्राप्त हुआ है. यू॰जी॰सी॰ के वेतन समिति की समीक्षाओं का आमोदन प्राप्ति के लंबे अवधि के बाद भी आई॰सी॰ए॰आर॰ के वज्ञानिकों को वेतन बढ़ोत्तरी प्राप्त नहीं हुआ है . वेतन बकाए की विलंबित प्राप्ति से आई॰सी॰ए॰आर॰ के पेंशन धारकों को भी काफ़ी मनोवैज्ञानिक अवसाद और मानसिक पीड़ा भुगतना पड़ा.

 

  • प्रति सप्ताह पाँच कार्य दिवसों की उनकी पुरानी मांग भी आर॰एम॰पी॰ एवं वज्ञानिक समुदाय के बहुमत प्राप्त करने के बावजूद जी॰बी॰ बैठक में नाकारा गया है,जो स्पष्ट रूप से वैज्ञानिक समुदाय की वास्तविक आवश्यकताओं के प्रति उच्चतम स्तर की असंवेदनशीलता को दर्शाता है.

इस पृष्ठभूमि के तहत, आई॰सी॰ए॰आर॰ के कृषि अनुसंधान सेवा वैज्ञानिक फोरम (ए॰आर॰एस॰एस॰एफ॰) की केन्द्रीय कार्यकारी समिति वैज्ञानिक समुदाय की वास्तविक आवश्यकताओं एवं मौलिक अधिकारों के प्रति व्यक्त असंवेदनशीलता की निंदा करती है और ये मानती है कि उनकी ईमानदारी एवं वफादारी को उदासीन किया जा रहा है. इसलिए, मार्च 1, 2018 (अगले वित्तीय वर्ष के पहले दिन ) काले बेज पहनकर देश भर में आई॰सी॰ए॰आर॰ के सभी वैज्ञानिकों द्वारा मौन विरोध का पालन करने के लिए आह्वान किया है, ताकि देश के ध्यान को उनकी मांगों की तरफ आकर्षित करके आई॰सी॰ए॰आर॰ संस्थानों में जल्द से जल्द संशोधित वेतन और पांच कार्य दिवसों के कार्यान्वयन लागू करवाया जाए. अत: सभी आई॰सी॰ए॰आर॰ संस्थानों के ए॰आर॰एस॰एस॰एफ॰ की स्थानीय इकाइयों को इस दिन मौन विरोध का पालन करके इसके शानदार सफलता में हाथ बताने का निर्देश किया जाता है. तदनुसार, ए॰आर॰एस॰एस॰एफ॰ स्थानीय इकाई मुंबई स्थित केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान एवं केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई केंद्र के देशभर के अपने वैज्ञानिक साथियों के साथ एकजुट होकर अपनी मांगों कार्यान्वयन के लिए इस मौन संघर्ष में प्रतिभाग ले रही हैं . करीब 75 वैज्ञानिक इस विरोध में भाग ले रहे हैं .

English Summary: Scientist Protest Published on: 03 March 2018, 04:34 AM IST

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