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पंतनगर की पंतजा बकरी की बढ़ी मांग, विश्वविद्दालय ने सुविधा के लिए स्थापित किया उपकेंद्र

पंतनगर विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित बकरी की पंतजा नस्ल की तीव्र शारीरिक वृद्धि, जुड़वां बच्चों के पैदा होने की दर अधिक तथा उत्पादकता अधिक होने के कारण बकरी पालकों को काफी लाभ प्राप्त हो रहा है, जिसके कारण अन्य लोग भी पंतजा बकरी पालने के लिए प्रोत्साहित हो रहे है

पंतनगर विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित बकरी की पंतजा नस्ल की तीव्र शारीरिक वृद्धि, जुड़वां बच्चों के पैदा होने की दर अधिक तथा उत्पादकता अधिक होने के कारण बकरी पालकों को काफी लाभ प्राप्त हो रहा है, जिसके कारण अन्य लोग भी पंतजा बकरी पालने के लिए प्रोत्साहित हो रहे है तथा पंतजा की मांग बढ़ती जा रही है। इस बीच हाल ही में विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंन्द्र, मझेरा (नैनीताल) में विश्वविद्यालय में चल रही बकरी परियोजना का उपकेन्द्र स्थापित किया गया है, जहां पर उच्च क्षमतावान पंतजा बकरियों का प्रजनन किया जा रहा है तथा उनसे उत्पादित पंतजा मेमनों को आस-पास के गाँवों में वितरित किया जायेगा।

परियोजना अधिकारी, डा. आर.के शर्मा ने बताया कि वर्ष 2014 में भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बकरियों के अति महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, (नई दिल्ली) द्वारा पंतनगर विश्वविद्यालय के पशुधन उत्पादन प्रबंध विभाग में अखिल भारतीय समन्वित बकरी शोध परियोजना के केन्द्र की स्थापना की गयी थी। इस परियोजना के अन्तर्गत उच्च क्षमतावान पंतजा बकरियों के समूह की स्थापना की गयी है, जिसमें उत्पादित नर बकरों को परियोजना क्षेत्र में नस्ल सुधार हेतु वितरित किया जाता है। अब तक लगभग 80 बकरे परियोजना के अन्तर्गत बांटे जा चुके हैं, जिनसे 2,500 पंतजा मेमनों का जन्म हो चुका है। इस परियोजना के अन्तर्गत अब तक ऊधमसिंह नगर व नैनीताल जिलों के 140 से अधिक गाँवों में 9,000 बकरियों का सर्वेक्षण किया जा चुका है तथा 42 गाँवों में 3,000 बकरियों को अंगीकृत किया गया है साथ ही अब तक 1,115 बकरी पालकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। अंगीकृत परिवारों को 29,640 किग्रा बकरी का दाना, 3,512 किग्रा खनिज चूर्ण 8,420 किग्रा चूना, 1,179 दाने के बर्तन तथा 65 प्रथम चिकित्सा किट वितरित किये जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त 2,000 टीकाकरण तथा 1,500 बकरियों को कृमिनाशक दवा पिलाई जा चुकी है, जिसके कारण बकरियों में मृत्युदर में काफी कमी आयी है।

नए स्थापित मझेरा केन्द्र का कार्य डॉ. रिपुसूदन कुमार, कनिष्ठ शोध अधिकारी, (मझेरा) की देख रेख में सम्पन्न होगा। इस परियोजना के स्थानीय समन्वयक, डा. डी.वी. सिंह, तथा परियोजना अधिकारी, डा. आर. के शर्मा  एवं सह-परियोजना अधिकारी, डॉ. एस.के सिंह, डॉ. जे. एल सिंह, डॉ. अनिल कुमार व डा. राजीव रंजन कुमार हैं।

English Summary: Pantnagar's Panja Goat's Increased Demand, World University established the facility for the sub-station Published on: 20 February 2018, 02:45 AM IST

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