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देश के बाहर से सभी प्रकार की दालों और दलहनों के आयात को पूर्ण रूप से एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित करने की मांग

ऑल इण्डिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुभाष गुप्ता एवं सचिव दिनेश अग्रवाल ने भारत सरकार से मांग की है कि देश के किसानों को सभी प्रकार के दलहनों - चना, तुअर, उड़द, मूंग, मसूर का समर्थन मूल्य मिले, इसके लिए देश के बाहर से सभी प्रकार की दालों और दलहनों के आयात को पूर्ण रूप से एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया जाये।

ऑल इण्डिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुभाष गुप्ता एवं सचिव दिनेश  अग्रवाल ने भारत सरकार से मांग की है कि देश  के किसानों को सभी प्रकार के दलहनों - चना, तुअर, उड़द, मूंग, मसूर का समर्थन मूल्य मिले, इसके लिए देश के बाहर से सभी प्रकार की दालों और दलहनों के आयात को पूर्ण रूप से एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया जाये।

 उक्त संदर्भ में संगठन द्वारा प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी को दिनांक 10.01.2018 , 23.01.2018 , 29.01.2018 एवं 07.02.2018 को ज्ञापन भेजकर अनुरोध किया है कि देश  के किसानों को सभी प्रकार के दलहनों - चना, तुअर, उड़द, मूंग, मसूर का समर्थन मूल्य मिले, इसके लिए देश के बाहर से सभी प्रकार की दालों और दलहनों के आयात को पूर्ण रूप से एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया जाये। इसी तारतम्य में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री माननीय श्री सुरेश प्रभु से अनुरोध किया है कि सभी प्रकार के दलहनों - चना, तुअर, उड़द, मूंग, मसूर का आयात पूर्ण रूप से एक वर्ष के लिए बंद किया जाये।

संगठन ने सरकार को अवगत कराया है कि देश  में सभी प्रकार के दलहनों का उत्पादन प्रचूर मात्रा में हुआ है, साथ ही पूर्व में भारत सरकार और देश  की सभी राज्य सरकारों ने भी भारी मात्रा में किसानों से समर्थन मूल्य पर दलहनों का स्टॉक कर रखा है और देश  के बाहर से भी दलहनों का आयात अभी भी जारी है, क्योंकि  जिससे किसानों को उनकी कृषि उपज का उचित एवं वाजिब मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।

  1. देश के बाहर से उड़द, तुअर, मूंग, मसूर, चना, मटर काफी मात्रा में भारत में आ रहा है। मूंग, उड़द - 3 लाख टन, तुअर - 2 लाख टन दलहन को भारत लाने की वर्तमान में अनुमति दी गई है तथा साउथ अफ्रीका से 8 लाख से अधिक तुअर भारत में समझौते के तहत भारत आ रही है। इन सभी दलहनों को कम से कम एक वर्ष के लिए आयात पूर्णतः बंद करने की आवश्यकता हैं।
  2. सरकार का गोदामो में रखा स्टॉक भी बहुत अधिक मात्रा में है। राज्य सरकारें टेंडर पद्धति से दलहन का विक्रय कर रहीं है, जिससे मार्केट में बहुत अधिक मात्रा में दलहन उपलब्ध होगा। किसानों और व्यापारियों व मेन्युफेक्चरर्स दाल इण्डस्ट्रीज को भी काफी नुकसान हो रहा है। सभी किसानों को तुअर का समर्थन मूल्य 5450/- और मूंग का समर्थन मूल्य 5575/- एवं उड़द का समर्थन मूल्य 5450/- तथा मसूर का भी समर्थन मूल्य नही मिल पा रहा है। किसानां की स्थिति बहुत दयनीय होती जा रही है। समस्त राज्य सरकारों को नई फसल समर्थन मूल्य पर किसानां से खरीदी करने की आवश्यकता है, ताकि किसान अगले वर्ष भी दलहन का उत्पादन कर सकें। अन्यथा अगले वर्षों में दिन प्रतिदिन दलहन का उत्पादन देश में कम हो जाने की सम्भावना है, क्योंकि नुकसान देकर किसान दलहन की खेती करने में रूचि नहीं लेंगे तथा वह उस खेती की तरफ ध्यान देंगे, जिसमें उनको अधिक फायदा हो।
  3. इस वर्ष 2017-18 में मानसून की स्थिति को देखते हुए, भारत के किसानो ने उड़द, मसूर और मूंग, चना के उत्पादन में काफी रूचि ली है किसान की सोईंग (बुआई) के जो आंकडे़ भारत सरकार से आ रहे है, उसमें मूंग उड़द एवं चना का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने का अनुमान है। उस हिसाब से भारत में नई फसल अच्छी मात्रा में पैदा (उत्पादित) हो रही है।
  4. साथ ही संगठन ने सरकार से अनुरोध किया है कि देश के बाहर चना, तुअर, उड़द, मूंग, मसूर का निर्यात भी प्रारंभ करना चाहिए, वर्तमान में सरकार के पास 16 लाख टन दलहनों का बम्पर स्टॉक है, उसे भी देश के बाहर विक्रय करने की आवष्यकता है। भारत सरकार को कम से कम 25 लाख टन दलहन देश  के बाहर निर्यात करना चाहिए। जिस प्रकार ऑस्ट्रेलिया के चने की डिमांड पाकिस्तान, बांग्लादेश , अरब कन्ट्री एवं चीन सहित अनेक देशों में है। मसूर की मांग भी कनाडा, टर्की, बहरीन, पाकिस्तान एवं गल्फ कन्ट्री में है। साथ ही तुअर की मांग भी अरब कन्ट्री में ज्यादा है, तो भारत सरकार को भी इन देषों को दलहन निर्यात करने की आवष्यकता है। जिससे कि देश  के किसानों को उनकी  कृषि उपज का समर्थन मूल्य मिल सके।
  5. किसान जब कम कीमत में माल बेचता है, तो उसकी आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जाती है। समर्थन मूल्य से ऊपर माल बिकने पर वह अपने परिवार में घर खर्च, किराना खर्च, बिजली का बिल, टी.वी. और टेलीफोन-मोबाइल के खर्चे एवं कपड़े व रोजमर्रा का सामान, बच्चों का स्कूल खर्च व अन्य खर्च एवं कृषि संसाधनों के खर्च के अतिरिक्त आवष्यकतानुसार कई तरह का सामान खरीदता है, जिससे कि अन्य लोगों की दुकानें, कारखानें व अन्य अनेक इण्डस्ट्रीज का उत्पादन बढ़ता है। इसलिए किसान और व्यापारी को अधिक-से-अधिक सम्पन्न बनाने के लिए समर्थन मूल्य से अधिक लागत मूल्य कृषि उपज का मिलना चाहिए।

अतः संगठन ने भारत सरकार से मांग की है कि सभी प्रकार की दालों और दलहनों के आयात पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी जाये। इस सम्बंध में केन्द्र सरकार की होने वाली मीटिंग में निर्णय होने की उम्मीद है।

English Summary: Dal millers Assocation Published on: 16 February 2018, 04:52 AM IST

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