1. Home
  2. ख़बरें

बीटी कपास लाएगी कपास किसानों के अच्छे दिन

पिछले वर्ष बीटी कपास के रकबे में बढोतरी के बाद इस वर्ष ज्यादा उपज देने वाले इस जीन संवर्धित बीज से कपास कि खेती में किसानों को और ज्यादा मुनाफा होने के आसार है। साल 2013-14 में कपास के कुल क्षेत्र में बीटी का रकबा 95 फीसदी से अधिक था जिसमें 2016-17 के दौरान भारी गिरीवट आई और यह 90 प्रतिशत से कम पर पहुंच गया। नवीनतम बॉलगार्ड किस्म के उत्पादन में स्थिरता और बीटी कपास पे कीट हमलों के कारण ऐसा हुआ था।

पिछले वर्ष बीटी कपास के रकबे में बढोतरी के बाद इस वर्ष ज्यादा उपज देने वाले इस जीन संवर्धित बीज से कपास कि खेती में किसानों को और ज्यादा मुनाफा होने के आसार है।  साल 2013-14 में कपास के कुल क्षेत्र में बीटी का रकबा 95 फीसदी से अधिक था जिसमें 2016-17 के दौरान भारी गिरीवट आई और यह 90 प्रतिशत से कम पर पहुंच गया। नवीनतम बॉलगार्ड किस्म के उत्पादन में स्थिरता और बीटी कपास पे कीट हमलों के कारण ऐसा हुआ था।

हालांकि कुल क्षेत्र मे बढोतरी से परंपरागत कपास, संकर और देसी किस्मों कि तुलना में बीटी कपास को फायदा मिला 2017-28 में कपास का कुल रकबा 1.244 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र था। जबकि इसमें बीटी का रकबा 1.107 करोड़ हेक्टेयर यह कुल रकबे का 89 फीसदी है।

कपड़ा आयुक्त कविता गुप्ता के अनुसार किसान ज्यादा उपज के लिए बीटी कपास उगाना पसंद करते है। उन्हे बीटी कपास में वृद्धि जारी रहने कि उम्मीद लगी रहती है। जबकि राजस्थान जैसे राज्यों मे किसान ने देसी किस्म को ही प्राथमिक्ता दी है जिसने ज्यादा उपज प्रदान कि है। हाल ही में कपास सलाहाकार बोर्ड ने 2017-18 के लिए कपास उत्पादन का अनुमान 3.77 करोड़ गांठ से घटाकर 3.7 करोड़ गांठ कर दिया है। महाराष्ट्र,तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कपास कि फसल पर पिंक बॉलवर्म के हमले को इस घाटे का जिम्मेदार माना है। 

इसी बीच कपड़ा आयुक्त ने मंत्रालय से कहा है कि वह कपास कि खेती के लिए अपनाई जाने वाली विश्वस्तर कि कार्यप्रणालोयों को अपनाने में किसानों कि सहायता करें।

English Summary: Bt cotton will bring good days of cotton farmers Published on: 04 July 2018, 06:16 AM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News