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‘हैप्पी सीडर’ से कितना फायदा होता है खुद ही पढ़िए...

आज किसानों को ऊर्जा संकट, विशेष आर्थिक क्षेत्रों कृषि मदों की बढ़ती कीमतों और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ये समस्याएं स्वत: ही विभिन्न समस्याओं को जन्म देती हैं। पिछले चार दशकों में खेती में बहुत-सी समस्याएं आई हैं। इन समस्याओं को कम करने के लिए भारत अब दूसरी हरितक्रान्ति की ओर अग्रसर है।

KJ Staff
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आज किसानों को ऊर्जा संकट, विशेष आर्थिक क्षेत्रों कृषि मदों की बढ़ती कीमतों और ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ये समस्याएं स्वत: ही विभिन्न समस्याओं को जन्म देती हैं. पिछले चार दशकों में खेती में बहुत-सी समस्याएं आई हैं. इन समस्याओं को कम करने के लिए भारत अब दूसरी हरितक्रान्ति की ओर अग्रसर है.

गेहूं बीजने की मशीन हैप्पी सीडर गेहूं की खेती के तरीके में बदलाव का क्रांतिकारी कदम है. जिला के रतिया उपमंडल के गांव मगावाली के किसान रमेश ने न केवल अपने खेत में बल्कि दूसरे किसानों के 150 एकड़ से अधिक भूमि पर हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई की थी. इस तकनीक से बिजाई के चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं.

हैप्पी सीडर से बिजाई करने वाले और अन्य सभी किसानों के खेतों में गेहूं की पैदावार उन किसानों से कहीं अधिक हुई है. जिन्होंने अपने खेतों में धान की पराली जलाने के बाद गेहूं की बिजाई की. हैप्पी सीडर के उपयोग से खेती की लागत भी कम होती है. हैप्पी सीडर से की गई गेहूं की बिजाई के शानदार परिणाम से प्रेरित होकर किसान रमेश ने ठाकुर एग्रीकल्चर सोसायटी का रजिस्ट्रेशन करवाकर कस्टम हाय¨रग सेंटर भी स्थापित किया है, जहां पर आए दिन आस-पड़ोस के किसान आधुनिकतम मशीनों की जानकारी लेने पहुंच रहे हैं.

धान की पुआल में होते हैं जरूरी पोषक तत्व धान की पुआल में लगभग 50-55 प्रतिशत कार्बन, 0.62-0.68 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.20-0.23 प्रतिशत फास्फोरस एवं 0.78-1.15 प्रतिशत पोटेशियम होते हैं जो जलाने के उपरांत नष्ट हो जाते हैं.

हैप्पी सीडर मशीन से बिजाई की तकनीक हैप्पी सीडर मशीन एक तरफ धान की डंठलों के ऊपरी भागों को काटकर हटाती है और साथ-साथ कतारों में गेहूं की बुआई भी करती जाती है. धान के शेष अवशेषों को खेतों में दबा देती है. इस तरह गेहूं की बुवाई समय से होती है और धान के अवशेषों से खेत ढका होने से नमी बनी रहती है एवं अंकुरण अच्छा होता है.

डंठल से तैयार करें जैविक उर्वरक कृषि अधिकारियों ने किसी भी दशा में खेत में गेंहू के अवशेष न जलाएं. ऐसे प्रक्षेत्र में तवा या कल्टीवेटर से गहरी जोताई करने के बाद सचाई कर देनी चाहिए. इसके उपरांत यूरिया का छिड़काव करने से अवशेष कुछ ही दिनों में सड़ जाता है. इससे मिट्टी की संरचना सुरक्षित रहने के साथ फसल अवशेष सड़ने पर जैविक उर्वरक की एक परत भी तैयार हो जाती है.

मैंने करीब 20 एकड़ से अधिक गेहूं की बिजाई हैप्पी सीडर से किया था. अधिकारियों ने भी निरीक्षण किया है. कुछ दिनों बाद कढ़ाई भी शुरू हो जाएगी। जिसका औसत भी सामने आ जाएगी. अधिकारियों ने निरीक्षण किया है. अन्य फसलों की तुलना में उसकी अच्छी गेहूं की फसल है.

रमेश कुमार, प्रगतिशील किसान रतिया

English Summary: Happy Seedar Published on: 07 April 2018, 12:39 AM IST

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