1. Home
  2. बागवानी

हमारे देश कि विविधता के अनुकुल है जऱबेरा कि खेती

भारत को एक ऊष्णकटिबंधिय देश माना जाता है। जिसका मतलब है ऐसा देश जहां पे सूर्य का प्रकाश हर महीने रहता है। इसी कारण हमारे देश कि मिट्टी,ऊर्वरा,वातावरण हर राज्य में एक दूसरे से भिन्न है। यहां के प्रतयेक कण में विविधता है। इसी कारण कौन सी फसल उगाई जाए जो हर तरह कि मिट्टी में उग सके औऱ लाभ पहुंचा सके। तो उस में एक नाम है जऱवेरा विभिन्न जलवायु में उगाने योग्य किसी भी प्रकार मे इसकी खेती कर सकते है। क्यारीयों,गमले,बार्डर एंव राक गॉर्डन के लिए उपयुक्त

भारत को एक ऊष्णकटिबंधिय देश माना जाता है।  जिसका मतलब है ऐसा देश जहां पे सूर्य का प्रकाश हर महीने रहता है।  इसी कारण हमारे देश कि मिट्टी,ऊर्वरा,वातावरण हर राज्य में एक दूसरे से भिन्न है। यहां के प्रतयेक कण में विविधता है। इसी कारण कौन सी फसल उगाई जाए जो हर तरह कि मिट्टी में उग सके औऱ लाभ पहुंचा सके। तो उस में एक नाम है जऱवेरा विभिन्न जलवायु में उगाने योग्य किसी भी प्रकार मे इसकी खेती कर सकते है। क्यारीयों,गमले,बार्डर एंव राक गॉर्डन के लिए उपयुक्त

जऱबेरा खेती कि विधि:

भूमि एवं तैयारी-

5.5 से 6.5 पीएच बलुई दोमट युक्त भूमि, जड़ो के लिए अच्छी जल निकास व्यवस्था,क्यारियों कि ऊंचाई कस से कम 45 सें.मी,चौडाई 60 सें.मी तथा लंबाई 4 से 5 मीटर अपनी जरुरत के हिसाब से रख सकते है। क्यारियों के बीच 30 सें.मी चौडा रास्ता छोडा जाए तो बेहतर होगा।

उत्पादन हेतु ग्रीन हाउस अथवा शेड नेट-

ग्रीन हाउस या शेड नेट जिस किसी का भी आप प्रयोग करे उसकी ऊंचाई कम से कम 7-8.5 के बीच रखे जिससे वायु संचरण मे कोई अवरोध उत्पन्न ना हो। बारिश से पौधो को बचाने के लिए शेड नेट को ऊपर से पॉलीथीन से ढकना जरुरी है। फूलों के खिलने के लिए उचित तापमान 23 डिग्री सेल्सियश है। पत्तियों के खुलने के लिए 25 से 27 डिग्री तापमान उचित रहता है। 15 डिग्री से नीचे और 35 डिग्री से ऊपर का तापमान फूलों के लिए हानिकारक है। ग्रीन अथवा शेड हाउस के भीतर 70-75 प्रतिशत नमी जरुरी है।

पौधा रोपण-

सीधी लाइन से लाइन 37.5 से.मी तथा पौधे से पौधा 30 से.मी पर लगाए रोपाई करते समय 1-2 से.मी भूमी से ऊपर रहे। जड़ के पास से मिट्टी टूटनी नहीं चाहिए। रोपाई के बाद 4 से 6 हफ्ते तक 80 से 90 प्रतिशत कि दर से नमी बनाए रखे।

सिंचाई-

ड्रिप इरीगेशन से ही संचाई करे। प्रतेयक पौधे के पास एख ड्रिपर होना चाहिए, जिससे उचित मात्रा में जल अथवा पोषत तत्व दिए जा सके। संचाई हमेशा नमी कि स्थति को देखकर ही करे। सदैव दोपहर पूर्व सिंचाई करे। ज्यादा पानी नुकसानदेह हो सकता है। 60 से 72 प्रतिशत से ज्यादा नमी नहीं होनी चाहिए।

ऊर्वरक प्रयोग-

रोपाई के बाद शुरुआती 3 महीनों में एन.पी.के 20:20:20 को 0.4 ग्राम मिश्रण प्रति पौधा 1 दिन के अंतराल से देते रहें। फूल निकलने के पश्चात एन.पी.के 15:8:35 को 0.4 ग्राम प्रति पौधा 1 दिन के अंतराल से घोल के रुप में दे।  कमी के लक्षण दिखाई पड़ने पर सूक्ष्न तत्वो का प्रयोग भी महीने 1 बार करे।

फूलों कि कटाई-

24 से 30 माह कि फसल है। रोपाई के 7-8 सप्ताह के बाद तोड़ने योग्य फूल तैयार होते है। औसत उत्पादन 240 फूल प्रति वर्ग मी. (6 पौधे/वर्ग मी.)। 2-3 चक्र पंखुडियों के खिलने पर फूलों को काटने से उनको अधिक समय तक वेस में रखा जा सकता है। फूलों को बिल्कुल प्रात:काल सुबह या देर संध्याकाल के दौरान काटना चाहिए। कटाई के तुरंत बाद फूलों को 14-15 डिग्री तापमान पर पाना में 4-5 घण्टो के लिए रखा जाए। अच्छे फूलों के डंठल कि लंबाई 45-55 से.मी फूल का व्यास 10-12 से.मी होनी चाहिए।

कीट तथा उनका उपचार-

इन फूलों को सबसे ज्यादा खतरा सफेद मक्खी से होता है। इसलिए उसके उपचार हेतु रोगार 2 मिली.अथवा इमिडाक्लोरप्रिड 0.5 मिली. तथा नीमाजोल का 2 मिली. कि दर से छिड़काव करे। लीफमाइनर कीट के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 1 मिली. इसके साथ डाईक्लोरवास 1 मिली. प्रति लीटर कि दर से छिड़काव करना चाहिए। थ्रिपस के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोरप्रिड 0.5 मिली. अथवा मोनोक्रोटोफास 2 मिली. प्रति लीटर कि दर से छिड़काव करे।

रोगों के उपचार हेतु-

जड़ सड़ने कि बीमारी हेतु कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम अथवा केप्टॉन् का 2 ग्राम प्रति लीटर कि दर से छिड़काव करे। पाउडरी मिल्डयू रोग के उपचार हेतु सल्फर 1.5 ग्राम अथवा कैराथेन 0.4 ग्राम प्रति लीटर कि दर से छिड़काव करे।

 

भानु प्रताप

कृषि जागरण

English Summary: The diversity of our country is gourmet cultivation Published on: 07 June 2018, 06:23 IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News