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वर्मी वाश बनाएं अपने घर में

जिस तरह केंचुओं का मल (विष्ठा) खाद के रूप में उपयोगी है, उसी तरह इसका मूत्र भी तरल खाद के रूप में बहुत असरकारक होता है। केंचुओं के मूत्र को इकट्ठा करने की एक विशेष पद्धति होती है जिसे वर्मी वाशपद्धति कहते हैं। वर्मी वाश बनाने के लिए 40 लीटर की प्लास्टिक की बाल्टी अथवा केन लेकर उसे निम्न प्रकार से भरा जाता है। बाल्टी में नीचे एक छोटा छेद करते हैं जिससे वर्मी वाश एकत्र किया जाता है।

जिस तरह केंचुओं का मल (विष्ठा) खाद के रूप में उपयोगी है, उसी तरह इसका मूत्र भी तरल खाद के रूप में बहुत असरकारक होता है।केंचुओं के मूत्र को इकट्ठा करने की एक विशेष पद्धति होती है जिसे वर्मी वाशपद्धति कहते हैं।वर्मी वाश बनाने के लिए 40 लीटर की प्लास्टिक की बाल्टी अथवा केन लेकर उसे निम्न प्रकार से भरा जाता है। बाल्टी में नीचे एक छोटा छेद करते हैं जिससे वर्मी वाश एकत्र किया जाता है।

  1. इंटके छोटे टुकड़े या छोटे-छोटे पत्थर – 5 इंच का थर
    2. 
    रेत मोटी बालू – 2 इंच का थर
    3. 
    मिट्टी – 3 इंच का थर
    4. 
    पुराना खाद गोबर – 9-12 इंच का थर
    5. 
    घास का आवरण – 1-1.5 इंच का थर

इस तरह बाल्टी को भरकर उसमें करीब 200 से 300 केंचुए छोड़ देते हैं। वर्मी वाश की बाल्टी छायादार जगह में रखी जाती है। रोज इसमें हल्का-हल्का पानी छिड़कते रहना चाहिए।30 दिनों तक बाल्टी के नीचे केछिद्र को अस्थाई रूप से बंद कर दिया जाता है। 30 दिन के बाद इस छिद्र को खोल कर उसके नीचे एक बरतन रखा जाता है जिसमें वर्मी वाश एकत्र होता है।वर्मी वाश की बाल्टी में 4-4 घंटे के अंतर पर दिन में करीब4 से 5 बार हल्के-हल्के पानी का छिड़काव किया जाता है। बाल्टी के छिद्र के नीचे के साफ बर्तन में बूंद-बूंद पानी एकत्र होता रहेगा।

वर्मी वाश का सिद्धांत:-

वर्मी वाश मूलत: केंचुओं के पसीना और मूत्र को एकत्र करने की पद्धति है। 30 दिन तक केंचुए बाल्टी में सतत उपर से नीचे चालान करते हैं।सामान्य तौर पर केंचुए रात में भोजन लेने के लिए उपर आते हैं एवं दिन मेंनीचे चले जाते हैं। इस तरह केंचुओं के लगातार चालन से कम्पोस्ट के बेड में बारीक-बारीक नलिकाएं बन जाती हैं।केंचुए जब इन नलिकाओं से होकर गुजरते है तब केंचुओं के शरीर के ऊपर सतह से निकलने वालास्राव जिसे मूत्र अथवा पसीना कहा जा सकता है, वह इन नलिकाओं में चिपक जाता है।जब उपर से डाला गया बूंद-बूंद पानी इन नलिकाओं में से होकर गुजरता है तब वह केंचुओं द्वारा निष्कासित स्राव को धोते हुएनिकलता है इस तरह जो पानी नीचे एकत्र होता है उसमें केंचुए के पसीने अथवा मूत्र का मिश्रण होता है।

वर्मी वाश का उपयोग:-

वर्मी वाश एक बहुत ही पोषक द्रव्य है। इसमें पौधे के लिए उपयुक्त सभी सूक्ष्म पोषक तत्व उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं।इसी के साथ वर्मी वाश में हारमोन्स तथा एन्जाईम्स भी होते हैं जो फूलों एवं फलों केविकास में वृद्धि करते हैं। 

वर्मी वाश विशेषत: फल-फूल एवं सब्जियों के पौधों के लिए बहुत उपयोगी है।वर्मी वाश की प्रकृति गोमूत्र की तरह तीव्र है अत: कम से कम 20 भाग पानी में मिलाकर (एक लीटर वर्मी वाश में20 लीटर पानी मिलाएं) ही उसका छिड़काव करना चाहिए।इस तरह पौधे के आसपास गोलाई में कम से कम आधा लीटर पानी मिलाया हुआ वर्मी वाश डाला जाता है।

वर्मी वाश के छिड़काव से न सिर्फ पौधों की वृद्धि अच्छी होती है बल्कि कीट नियंत्रण भी होता है।वर्मी वाश का प्रयोग किसी भी फसल पर किया जा सकता है परंतु बहुत छोटे रोपों पर इसका उपयोग न करें, क्योंकिउनके जल जाने का डर है।वर्मी वाश की मात्रा तीव्र होने से भी पौधे जल जाते हैं। अत: उचित मात्रा में पानी मिलाकर ही वर्मी वाश का उपयोग करें।वर्मी वाश का अच्छी तरह उपयोग करने से रासायनिक खाद कीजरूरत नहीं पड़ती है।

 

English Summary: Make Vermi Wash in Your Home Published on: 11 October 2017, 10:30 IST

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