1. Home
  2. पशुपालन

मछली पालन उद्योग की पूरी जानकारी...

पहले मछली पालन उद्योग मछुआरों तक ही सीमित था , किन्तु आज यह सफल और प्रतिष्ठित लघु उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है। नई-नई टेक्नोलॉजी ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। मत्स्य पालन रोजगार के अवसर तो पैदा करता ही है, खाद्य पूर्ति में वृद्धि के साथ-साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

पहले मछली पालन उद्योग मछुआरों तक ही सीमित था , किन्तु आज यह सफल और प्रतिष्ठित लघु उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है। नई-नई टेक्नोलॉजी ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। मत्स्य पालन रोजगार के अवसर तो पैदा करता ही है, खाद्य पूर्ति में वृद्धि के साथ-साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है। एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परंतु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप में नदी, तालाब और सागर में होती हैं।

छोटे शहरों और गांवों के वे युवा, जो कम शिक्षित हैं, वे भी मछली पालन उद्योग लगा कर अच्छी आजीविका अर्जित कर सकते हैं। इसके लिए क्या योग्यता व संसाधन जरूरी हैं, इस बारे में बता रहे हैं :

शैक्षिक योग्यता:
मछली पालन उद्योग में प्रशिक्षण प्राप्ति के लिए कोई निश्चित शैक्षिक योग्यता व आयु सीमा निर्धारित नहीं है, किंतु डिप्लोमा करने के लिए उम्मीदवार को विज्ञान स्नातक होना चाहिए। डिप्लोमा देश के गिने-चुने मत्स्य विज्ञान से संबंधित कॉलेजों से होता है। 

नोट : किसान भाइयों कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिका कृषि जागरण को आप ऑनलाइन भी सब्सक्राइब कर सकतें है. सदस्यता लेने के लिए क्लिक करें...

मछलियों के तालाब तैयार करना:
मछली पालन उद्योग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है तालाब। तालाब का चयन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पानी का स्त्रोत तालाब के समीप हो, ताकि जरूरत पड़ने पर उसे भरा जा सके। उसमें अनावश्यक चीजें जैसे मेंढ़क, केंकड़े आदि न हों। जलीय पौधों से रहित दोमट मिट्टी वाले तालाब का चयन करना चाहिए। तालाब ऐसा होना चाहिए, जिसमें कम से कम 5-6 फुट तक पानी भरा रहे। यदि तालाब में जलीय खरपतवार या पौधे हों तो उन्हें उखाड़ देना चाहिए। ये जलीय पौधे तालाब की मिट्टी और पानी में उपलब्ध भोजन तथा पोषक तत्वों को कम कर देते हैं।

खरपतवार नाशक दवा 2-4 डी का इस्तेमाल करें। इसके बाद पानी में बारीक जाल डाल कर मांसाहारी तथा मिनोज मछलियों को निकाल दें। ये मछलियां पाली जाने वाली मछलियों को चट कर जाती हैं। उसके बाद चूने का छिड़काव करना चाहिए। चूने का यह काम ‘लाइमिंग’ कहलाता है।

मछली के बीज:
सामान्यतया सभी मछलियां जुलाई-अगस्त में अंडे देती हैं। ‘कॉमन कार्य’ नामक मछली साल में तीन बार ब्रीडिंग करती है। जीरा, फ्राय और अंगुलिकाएं में से किसी भी बीज को अपनाया जा सकता है।

नोट : किसान भाइयों कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिका कृषि जागरण को आप ऑनलाइन भी सब्सक्राइब कर सकतें है. सदस्यता लेने के लिए क्लिक करें...

मछलियों का आहार:
मछलियों को रोजाना एक निश्चित समय पर भोजन अवश्य देना चाहिए। गेंदनुमा लोइयां किसी बाल्टी आदि में रख कर पानी में लटका देनी चाहिए। गौरतलब है कि भोजन की मात्रा जानने के लिए अपना हाथ कोहनी तक तालाब के पानी में डालें। यदि हथेली साफ दिखाई नहीं देती तो इसका मतलब है कि भोजन काफी मात्रा में है।

छोटे शहरों और गांवों के वे युवा, जो कम शिक्षित हैं, वे भी मछली पालन उद्योग लगा कर अच्छी आजीविका अर्जित कर सकते हैं। इसके लिए क्या योग्यता व संसाधन जरूरी हैं, इस बारे में बता रहे हैं अशोक वशिष्ठ

कभी मत्स्य पालन मछुआरों तक ही सीमित था, किन्तु आज यह सफल और प्रतिष्ठित लघु उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है। नई-नई टेक्नोलॉजी ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है। मत्स्य पालन रोजगार के अवसर तो पैदा करता ही है, खाद्य पूर्ति में वृद्धि के साथ-साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है। एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परंतु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप में नदी, तालाब और सागर में होती हैं।

नोट : किसान भाइयों कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिका कृषि जागरण को आप ऑनलाइन भी सब्सक्राइब कर सकतें है. सदस्यता लेने के लिए क्लिक करें...

मछलियों का चुनाव:
विभिन्न सतहों पर विचरण करने वाली ऐसी मछलियों का चुनाव जरूरी है, जो शाकाहारी हों और दूसरे को न खाती हों। ऊपरी सतह पर रहने वाली मछली ‘कतला’ और ‘सिल्वर कार्प’ है, जो वर्ष भर में दो किलो वजनी हो जाती हैं। ये दोनों विदेशी नस्ल की हैं।

‘ग्रास कार्प’ और ‘रोहू’ पानी की मध्यम सतह अर्थात बीच की सतह के लिए पाली जा सकती हैं, जो एक वर्ष में 800 ग्राम तक हो जाती हैं। ये जलीय वनस्पति खाने की शौकीन होती हैं। रोहू का वजन साल भर में दो किलो तक हो जाता है।

निचली सतह पर ‘मिरगल’ और ‘कामन कार्प’ शाकाहारी मछलियां पाली जा सकती हैं, जो पानी की निचली सतह पर रह कर अपना भोजन स्वयं प्राप्त करती हैं। तीनों मछलियों के बीज जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में तालाब में छोड़ दिए जाएं तो तालाब से प्रति हेक्टेयर लगभग तीन मीट्रिक टन या 3,000 किलोग्राम तक मछलियां पैदा की जा सकती हैं।

मछलियों की पहचान:
मछली पालन उद्योग के लिए ऐसी मछलियों को पालना चाहिए, जो छोटे-छोटे जलीय जीवाणु खाकर जीवित रहती हैं और कम समय में तेजी से बढ़ती हैं। करीब 30 तरह की मछलियां हैं, जो आर्थिक दृष्टि से उपयोगी हैं। उनमें मुख्यत: कतला, रोहू, मिरगल, कामन कार्प, सिल्वर कार्प, कालवासु, कतरोहू, बाटा और महाशीर हैं। मांसाहारी मछलियों में पडिन, चीतल और संबला हैं।

नोट : किसान भाइयों कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिका कृषि जागरण को आप ऑनलाइन भी सब्सक्राइब कर सकतें है. सदस्यता लेने के लिए क्लिक करें...

मछलियों की देखभाल व उपचार:
तालाब में मछलियों के बीज डालने के बाद समय-समय पर मछलियों की देखभाल करते रहना चाहिए। मछलियों को तालाब में छोड़ने से पहले पोटेशियम परमेगनेट के पानी के घोल से स्नान कराके छोड़ा जाए। करीब महीने भर बाद पानी बदल जाना चाहिए। तालाब में बार-बार जाल चलाया जाए। किसी मछली पर कट लगा हो तो उसे तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए। अगर किसी मछली के चकत्ते झड़ने लगें तो उसे सिल्वर नाइट्रेट का घोल लगा दें। ठंड, गैस और सिन्ड्रोम जैसे रोगों का भी ध्यान रखना चाहिए। 

ऋण व्यवस्था:
सरकार ऐसे लघु उद्योग के लिए दस लाख रुपए तक का ऋण मुहैया करवाती है, बशर्ते स्वरोजगारकर्ता सरकार की सभी शर्तों को पूरा करता हो। यह धनराशि आसान किस्तों में तथा कम ब्याज पर जमा करवाई जाती है। ऋण व्यवस्था की तमाम जानकारी राज्य सरकार के तमाम लघु उद्योग कार्यालयों में उपलब्ध है।

अवसर:
मछली पालन उद्योग में डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त कर युवा सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्वायत्तशासी निकायों और राज्य सरकारों के अधीन प्रशिक्षण केंद्रों में रोजगार पा सकते हैं। स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त कर युवा फिशरीज अधीक्षक, फिशरीज विकास अधिकारी तथा सुपरवाइजर जैसे पद प्राप्त कर अपना भविष्य बना सकते हैं।

वेतनमान:
जहां तक कमाई का प्रश्न है तो इस व्यवसाय से जुड़े सरकारी कर्मचारियों को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित वेतनमान दिया जाता है, जबकि गैर-सरकारी संस्थानों में वेतन अधिक दिया जाता है। स्वरोजगार अपना कर अच्छी-खासी कमाई की जा सकती है।

नोट : किसान भाइयों कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिका कृषि जागरण को आप ऑनलाइन भी सब्सक्राइब कर सकतें है. सदस्यता लेने के लिए क्लिक करें... 

प्रशिक्षण संस्थान:
भारत में मत्स्य शिक्षा प्रदान करने वाला एकमात्र संस्थान ‘केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान’ मुम्बई में है। संस्थान का मुख्य कार्य मात्स्यिकी विज्ञान के विभिन्न पहलुओं का प्रशिक्षण अनुसंधान व संस्थागत सलाह सेवा प्रदान करना है। इसमें अंतरस्थलीय मास्त्यिकी और समुद्री संवर्धन के साथ डिप्लोमा इन फिशरीज साइंसेज की सुविधा उपलब्ध है। नामांकन हेतु अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगिता होती है। यहां अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी माध्यम की भी सुविधा है। विभिन्न सतहों पर विचरण करने वाली ऐसी मछलियों का चुनाव जरूरी है, जो शाकाहारी हों और दूसरे को न खाती हों। ऊपरी सतह पर रहने वाली मछली ‘कतला’ और ‘सिल्वर कार्प’ है, जो वर्ष भर में दो किलो वजनी हो जाती हैं। ये दोनों विदेशी नस्ल की हैं।

‘ग्रास कार्प’ और ‘रोहू’ पानी की मध्यम सतह अर्थात बीच की सतह के लिए पाली जा सकती हैं, जो एक वर्ष में 800 ग्राम तक हो जाती हैं। ये जलीय वनस्पति खाने की शौकीन होती हैं। रोहू का वजन साल भर में दो किलो तक हो जाता है।

निचली सतह पर ‘मिरगल’ और ‘कामन कार्प’ शाकाहारी मछलियां पाली जा सकती हैं, जो पानी की निचली सतह पर रह कर अपना भोजन स्वयं प्राप्त करती हैं। तीनों मछलियों के बीज जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में तालाब में छोड़ दिए जाएं तो तालाब से प्रति हेक्टेयर लगभग तीन मीट्रिक टन या 3,000 किलोग्राम तक मछलियां पैदा की जा सकती हैं।

नोट : किसान भाइयों कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पत्रिका कृषि जागरण को आप ऑनलाइन भी सब्सक्राइब कर सकतें है. सदस्यता लेने के लिए क्लिक करें...

 

English Summary: The complete information of the fishery industry ... Published on: 14 November 2017, 05:15 IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News