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पांच सालों में दोगुना होगा इरीगेशन का क्षेत्र

कहते हैं कि पानी की बूँद बूँद कीमती होती है, अक्सर हमने अपने बुजुर्गों से यह बात भी सुनी होगी कि ईश्वर पानी की हर एक बूँद का हिसाब मानव प्रजाति से लेंगे, कितना पानी तुमने कहाँ बर्बाद किया | ईश्वर तो इसका हिसाब जब लेंगे तब लेंगे लेकिन पानी को बर्बाद करने का नतीजा हमें इस दुनिया में ही दिख रहा है | कहीं पर सूखा पड़ रहा है तो कहीं पर पीने के पानी के भी लाले पड़े हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि मानव जाती सब पानी सिर्फ बर्बाद कर रही है | ना, ऐसा बिल्कुल नहीं है | पानी के सदुपयोग के लिए हम भरसक प्रयास भी कर रहे है | पानी का सबसे अधिक उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए होता है | फसलों की सिंचाई के लिए ही हमें पानी की सबसे बड़ी दिक्कत होती है | सूखे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है | नतीजन फसलों की कम पैदावार और भुखमरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है | लेकिन अब जैसे जैसे समय बदल रहा है तो पानी के सदुपयोग के लिए नए नए तरीके सामने आ रहें है | खासकर भारत जैसे देश में जहाँ पर इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है | ऐसे में सिंचाई में प्रयुक्त पानी का सदुपयोग और सही मायनों में अधिक फसल पैदावार ली जाए यह आधुनिक तकनीकि के माध्यम से किसानों को सिखा रही है जानी-मानी कृषि सिंचाई कम्पनी रिवुलिस इरीगेशन | बातचीत के दौरान कम्पनी के प्रबंध निदेशक कौशल जायसवाल बता रहें है कि भारत में टपक सिंचाई की आवश्यकता क्यों पड़ी और कैसे किसान इस कम्पनी के माध्यम से पानी का सही उपयोग करना सीख रहें हैं |

रिवुलिस इरीगेशन की शुरुआत कैसे हुयी?

यूँ तो रिवुलिस इरीगेशन का इतिहास काफी पुराना है | इस कंपनी का हेडक्वार्टर इज़राइल में है | सबसे पहले इसकी शुरुआत इज़राइल में प्लास्ट्रोनाम से हुयी थी, उसके बाद कई कंपनिया इससे जुड़ती गयी | बदलते समय के साथ इस कंपनी का भी अस्तित्व बदलता चला गया | जानी-मानी कृषि क्षेत्र की कंपनी जॉन डियर ने अपनी ही  सहयोगी कम्पनी जॉन डियर वाटर के माध्यम से प्लास्ट्रोनाम का अधिग्रहण किया |  आगे चलते हुए साल 2014 में एक बड़ा बदलाव हुआ, विश्व स्तर में इज़राइल के फिमी ऑपर्च्यूनिटी फन्ड् ने जॉन डियर वाटर का अधिग्रहण किया और इसे एक नया नाम “रिवुलिस इरीगेशन दिया | इसका नाम लैटिन शब्द रिवुलिस से लिया गया है, जिसका मतलब होता है पानी की छोटी नदी या धारा  |

रिवुलिस इरीगेशन का मुख्य कार्यक्षेत्र क्या है?

रिवुलिस इरीगेशन दो तरीके से काम करती है, जिसमें हम किसानों को कृषि सम्बन्धी सेवाओं को प्राथमिकता देते हैं | उसके बाद हम अपने उत्पाद बिज़नस को प्राथमिकता देते है | हम “फार्मर फर्स्ट” सिधांत पर काम कर रहे हैं यानी किसान को हम पहले प्राथमिकता देते है | आप कह सकते है हम किसानों को एक छत के नीचे कृषि सिंचाई संबंधी सभी समाधान उपलब्ध करा रहे है  | सेवा के रूप में हमारी टीम किसानों को लगातार यह सिखाती है कि किस तरीके से उनको आधुनिक खेती, किस कृषि उत्पाद का सही उपयोग, किस रसायन का उपयोग, आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कैसे करना है | इसमें सबसे ख़ास है टपक सिंचाई और सूक्ष्म सिंचाई तकनीक के उपयोग के विषय में बताकर पानी के सदुपयोग को बढ़ावा देना | इसके अलावा हम टपक एवं सूक्ष्म सिंचाई में प्रयुक्त उत्पादों को किसानों तक पहुंचाते है | इन मुख्य उत्पादों में ड्रिप लाइन, ड्रिप टेप, फिल्टर्स,  स्प्रिंक्लर्स, मिनी स्प्रिंक्लर्स, वाल्व, स्प्रयेर्स और अन्य कॉम्पोनेन्ट भी उपलब्ध है| 

रिवुलिस के क्या पायलट प्रोजेक्ट्स है?

कम्पनी भारत में कई पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं, भारत में जिस तरह से टपक एवं सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा मिल रहा है, उसे देखते हुए हमने भारत में अपने एक और प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करने की तैयारी कर ली है | यहाँ भारत के वड़ोदरा में हमारी प्रोडक्शन यूनिट है | दूसरी प्रोडक्शन प्लांट भी बहुत जल्द पूरी हो जाएगी | हमारे विश्वभर में 15 प्लांट है | हमने पूरी प्रोडक्शन बढाने की तयारी कर ली है | इसके अलावा किसानों को जागरूक करने के लिए हमारे पास पूरी एग्रोनोमी टीम है जो किसानों को कृषि के सही तकनीक के इस्तेमाल के विषय में बताते है | जैसे किसानों को किस तरीके से पानी देना चाहिए, कितनी मात्रा में उर्वरक और न्यूट्रीएन्ट देना है| इसके अलावा हमारा एक और प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है, जिसमें हम ऐसी तकनीक को डेवलप कर रहे है, जिससे की इरीगेशन सिस्टम की कार्य क्षमता बढ़ाने हेतु सैटलाइट इमेजेस का विश्लेषण कर सुझाव दिया जा सकेगा | इस तकनीक के माध्यम से सैटलाइट के जरिए यह भी पता लगाया जा सकेगा कि किस फसल में कितने पानी की जरुरत है| इसमें और भी कई फीचर रहेंगे|

कंपनी की विश्व स्तर पर कैसी उपस्थिति है ?

हमारी कंपनी ने हाल हाल ही में विश्व की जानी-मानी कंपनी यूरोड्रिप के साथ हाथ मिलाया| इसके बाद से रिवुलिस विश्व की दूसरी नंबर की इरीगेशन  कंपनी बन गयी | विश्व भर में हमारा 100 से अधिक देशों में कार्य है | इसके अलावा 13 देशों में 15 उत्पादन यूनिट है | भारत में वैसे तो हम लगभग सभी राज्यों में कार्य कर रहे है| परन्तु अभी गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडू हमारा मुख्य फोकस एरिया है| भारत के सभी राज्यों में हमारे डीलर है| 

क्या आप दूसरी कंपनियों को प्रतिद्वंदी के रूप में देखते है?

नही, दूसरी कंपनियों को हम अपने विरोधी के रूप में नही बल्कि सहयोगी के रूप में देखते हैं|  इतनी बड़ी कृषि योग्य भूमि वाले देश में कोई एक कंपनी अकेली इस जरुरत को पूरा नहीं कर सकती है| जितने ज्यादा प्रतिद्वंदी उतना बाजार में बढ़ोतरी | इससे सभी को फ़ायदा होके अपना उचित हिस्सा मिलेगा |इसलिए दूसरी इरीगेशन  कंपनी हमारी सहयोगी है | हमें अपने प्रतिद्वंदी से हमेशा कुछ न कुछ सिखने को मिलता है कि कैसे हम इसको और बेहतर कर सकते है|

किसानों की आय को दुगनी करने में ड्रिप इरीगेशन का क्या महत्त्व है ?

जैसा की हमारे प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि, किसानों कि आय जल्द से जल्द दुगुनी हो जाए| इसके लिए सरकार लगातार प्रयासरत है, जहाँ तक टपक और सूक्ष्म सिंचाई का सवाल है तो इसका किसानों की आय को  बढाने में बहुत योगदान है| किसान को सबसे ज्यादा जरुरत आज पानी की है| बिना पानी के फसल का होना संभव ही नही है| टपक सिंचाई एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान की लागत कम आती है| सरकार के ओर से इसमें पूरा सहयोग दिया जाता है| इसमें सरकार द्वारा 50-80 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध है और प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है| किसान इसके माध्यम से उर्वरक और जरुरी कृषि रसायनों का उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं| टपक सिंचाई के माध्यम से दिए जाने वाले उर्वरकों पर का पौधों को सही मात्रा में पोषण मिलता है जिससे पैदावार अधिक होती है| इसी के साथ किसान की लागत वैल्यू कम आती है|  तो इससे किसानों की आय बढाने में ड्रिप सिंचाई तकनीक का बहुत अहम रोल है|  भारत में अभी तक 9 मिलियन हेक्टेयर एरिया ड्रिप और सूक्ष्म सिंचाई द्वारा कवर किया जा चुका है| सरकार के सहयोग से अगले 5 सालों तक यह दुगुना हो जाएगा | 

किसान कैसे इरीगेशन सिस्टम को अपने खेतों में लगा सकते है ?

टपक एवं सूक्ष्म सिंचाई को खेत में इनस्टॉल करना बहुत आसान है| आसानी के साथ इसे अपने खेत में लगवा सकते है| इससे किसान अच्छे से खेती कर सकते हैं | बहुत सी कंपनिया इस क्षेत्र में कार्य कर रही है | भारत में लगभग सभी राज्यों में बहुत सी इरीगेशन कंपनियों के ऑफिस है, जहाँ से जानकारी प्राप्त हो सकती है | इसके अलावा सरकारी संस्था नाबार्ड/ कृषि विभाग / हॉर्टिकल्चर विभाग के हर जिले में ऑफिस है उनके माध्यम से किसान सब्सिडी और इसको खेत में लगाने तक की पूरी जानकारी उपलब्ध हो सकती है| 

English Summary: The area of irrigation will be doubled in five years: Kaushal Jaiswal

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