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खाद्य सुरक्षा : एक उभरती आवश्यकता

हम भारतीयों में सड़क किनारे बने खोको में मिलने वाले भोजने से अलग ही प्रेम हैं, लगभग सभी भारतीय इसे बड़े चाव से खाते हैं पर हमें उस भोजन की साफ सफाई का ध्यान रखते हुए इस तथ्य को भी जहन में रखना चाहिए की सुरक्षित और पर्याप्त भोजन तक पहुंच बुनियादी मानव आवश्यकता है।

परिचय

हम भारतीयों में सड़क किनारे बने खोको में मिलने वाले भोजने से अलग ही प्रेम हैं, लगभग सभी भारतीय इसे बड़े चाव से खाते हैं पर हमें उस भोजन की साफ सफाई का ध्यान रखते हुए इस तथ्य को भी जहन में रखना चाहिए की सुरक्षित और पर्याप्त भोजन तक पहुंच बुनियादी मानव आवश्यकता है। खाद्य सुरक्षा से हमें यह आश्वासन मिलता है कि उपलब्ध भोजन अंत उपयोगकर्ता को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। आज के समय में मनुष्य भोजन से उत्पन्न होने वाली बीमारियों एवं स्वास्थ्य समस्या से बहुत अधिक पीड़ित हैं इसलिए  खाद्य सुरक्षा वैश्विक एवं सार्वजनिक स्तर पर एक चर्चा का विषय बना हुआ है। आज के युग में बदलती भोजन की आदतें, बड़े पैमाने पर खानपान प्रतिष्ठानों की लोकप्रियता औरखाद्य आपूर्ति के लिए वैश्वीकरण का बढता चलन खाद्य सुरक्षा की महत्ता को और बड़ा देता है। 

चूंकि खाद्य सामग्री की उपलब्धता बड़ने की वजह से इस छेत्र में वेश्वीकरण तेज़ी से बड रहा हे ऐसे में विभिन्न  देशों के  बीच में खाद्य सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने की आवश्यकता बडती जा रही है। हमारा भोजन खेत से लेकर आहार बनने तक विभिन्न बिंदुओं पर जैसे खाद्य उत्पादन, वितरण, खुदरा / बिक्री, खपत आदि जगहों पर असुरक्षित हो सकता है। यही कारण है कि डब्ल्यूएचओ खेत से लेकर आहार बनने तक खाद्य सुरक्षा को सुधारने के प्रयासों को बढ़ावा दे रहा है। विश्व स्वास्थ्य दिवस जो हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाता है प्रत्येक वर्ष एक विशिष्ट विषयवस्तू पर विचार विमर्स करते हैं,  2015 में डब्ल्यूएचओ ने खाद्य सुरक्षा के महत्व के संदर्भ में "खेत से प्लेट, खाना सुरक्षित करें "/ “From farm to plate, make food safe”(डब्ल्यूएचओ, 2015) नामक विषयवस्तु का चयन किया। पिछले कुछ सालो में भारत में भोजन से होने वाली बीमारियों कि संख्या में वृद्धि दर्ज हुई है और यह बहुत जरूरी हो गया है कि सभी खाद्य वस्तुओं की उत्पत्ति से उपभोक्ताओं को वितरण के स्तर तक खाद्य सुरक्षा और खाद्य गुणवत्ता की स्थिति सुनिश्चित की जाये।

भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फार्म से उपभोग तक के सभी चरणों में सतर्कता की आवश्यकता है। चेन्नई में साल 2013-2014 में सरकारी प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षण के लिए लाए गए  लगभग 40% खाद्य पदार्थ में या तो मिलावट पायी गयी या वे गलत ब्रांड के नाम से बेचे जा रहे थे। भारत में खाद्य सुरक्षा और उसके मानकों को सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहतखाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को  नियामक संस्था के रूप में स्थापित किया गया था। 

खाद्य सुरक्षा क्या है? 

खाद्य सुरक्षा को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में वर्णित किया गया है जिसमें भोजन को विशेष तरीके से संग्रहीत, तैयार और नियंत्रित किया जाता है ताकि भोजन के कारण होने वाली बीमारीयों को रोका जा सके (डब्ल्यूएचओ, 2015)।पाल (2013) द्वारा दी गयी  परिभाषा के अनुसार खाद्य सुरक्षा यह आश्वासन है कि अगर भोजन या खाद्य को इसके इच्छित उपयोग के अनुसार बनाया या उपभोग किया जाए तो यह    उपभोक्ता को किसी भी प्रकार की हानि  या बीमारी नहीं फेलायेगा। सामान्य तौर पर, खाद्य सुरक्षा का मतलब तीव्र या चिरकालीन खतरों की उपस्थिति को सीमित करना है, जो उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए भोजन को हानिकारक बना सकता है। खाद्य सुरक्षा खाद्य सामग्री के उत्पादन, हैंडलिंग, भंडारण और पकाते के सही तरीको के बारे में बताता हे ताकि खाद्य उत्पादन श्रृंखला में संक्रमण और संदूषण को रोका जा सके  और यह सुनिश्चित किया जा सके की अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए खाद्य गुणवत्ता और स्वस्थता को बनाए रखा जा रहा है। 

हमारा खाना कितना सुरक्षित है?

स्ट्रीट फूड दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के अधिकांश देशों में एक पारंपरिक और स्वदेशी फास्ट फूड की तरह अपनी जगह बना चूका हैं। स्ट्रीट फूड विक्रेता लाखों उपभोक्ताओं को सस्ता और स्वादिष्ट भोजन प्रदान करते हैं। सडक के किनारे बन रहे इस खाने को चाहे कितनी ही गुणवत्ता और सफाई के साथ बनाया जाए पर फिर भी इससे पुर्णतः सुरक्षित नहीं मान जा सकता क्योंकि सड़क के आस –पास गुणवत्ता के अलावा अन्य कारक भी खाद्य सुरक्षा में योगदान करते हैं। डब्लूएचओ द्वारा1993 में 100 देशों के सड़क के किनारे मिल रहे 100 खाद्य पदार्थों में किए गए सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आये की अधिकतर कच्चे और कम पके हुए भोजन, संक्रमित खाद्य प्रहस्तक और ऐसे भोजन को संसाधित करने और संचय करने में अपर्याप्त स्वच्छता रखने से स्वास्थ्य को अधिक खतरा होता है। चूंकि अधिकतर स्ट्रीट फूड अच्छी तरह से पकाया और गर्म किया जाता है, इस भोजन से बिमारिय होने की संभावना कम होती है।जैविक और स्थानीय रूप से उत्पादित खाद्य पदार्थों में पर्यावरणीय लाभ अधिक हो सकते हैं जैसे कम कीटनाशक या उर्वरक का उपयोग करना। परन्तु ये खाद्य पदार्थ भी दुसरे खाद्य सामग्री की तरह उपभोक्ताओं तक पहुँचने से पहले विभिन्न प्रक्रियाओं के दौरान हानिकारक जीवाणुओं द्वारा दूषितहो सकते हैं। इसलिए किसानों और वितरकों के लिए खाद्य संदूषण कम करने के लिए अच्छे सेनेटरी प्रथाओं का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। चाहे भोजन सामग्री जैविक या अजैविक तरह से उत्पादित हो उपभोक्ताओं को हमेशा ही भोजन की तैयार करते समय और पकाने में सावधानी बरतनी चाहिए।खाद्य सुरक्षा और भोजन संबंधी बीमारी पर बात करते समय कई कारणों का उल्लेख किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए दस्त की एक घटना मानव जीवन का पर्याप्त नुकसान कर सकती है। दस्तरोगजनकों के कारण उत्पन्न होने वाली सबसे आम भोजनजन्य बीमारी है। खाद्यजनित और जलजनित अतिसार रोग (दस्त) से दुनिया भर प्रति वर्ष अनुमानतः 2.2 मिलियन लोग मरते  हैं, जिनमे ज्यादातर बच्चेहोते हैं। रासायनिक या विष संदूषण सेकैंसर, तीव्र या चिरकालीन रोगआदि हो सकता है। ट्रांस-वसा, संतृप्त वसा, शर्करा और नमक / सोडियममें समृद्ध खाद्य पदार्थ गैर-संचारी रोगों जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप के बढ़ते खतरे का कारण हो सकते हैं। रोगाणुरोधी प्रतिरोध दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन कर उभर रही है। भोजन से उत्पन्न बीमारियों से व्यक्तियों, परिवारों, समुदायों, व्यवसायों और देश के लिए नकारात्मक आर्थिक परिणाम भी होते हैं। असुरक्षित भोजन स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों, व्यापार और पर्यटन पर अतिरिक्त बोझ को बढ़ा देता है, आर्थिक उत्पादकता को कम करता है और आजीविका का खतरा पैदा करता है। भोजनजनित बीमारी से होने वाले आर्थिक नुकसान को पूरी तरह से मापना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उनका अभी भी पूरा विवरण नहीं मिल पता हैं। विभिन्न नीति निर्माताओं को भोजन संबंधी बीमारी के प्रभाव पर विज्ञान-आधारित और विश्वसनीय अनुमानों की आवश्यकता होती है ताकि एक उचित और समान निर्णय लिया जा सके और खाद्य पदार्थों से संबंधित संसाधनों को जुटाया जा सकें।आज के समय में खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाएं पूरे देश और कई राष्ट्रीय सीमाएं पार कर रही हैं।

खाद्य व्यापार का वैश्वीकरण खाद्यजनित बीमारियों और व्यापार विवादों को भी जन्म देता है ।अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। हर उपभोक्ता का यह अपेक्षा करने का अधिकार है कि जो खाद्य पदार्थ वे खरीदते हैं और उपभोग करते हैं वे सुरक्षित और सर्वोत्तम गुणवत्ता के हों। उन्हें खाद्य नियंत्रण प्रक्रियाओं, मानकों और गतिविधियों के बारे में अपनी राय देने का अधिकार है जिनके व्यावहारिक और यथार्थवादी होने पर सरकार और उद्योगों को उन्हें अपनाना चाहिए। 

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून, नियम एवं संगठन :

1. अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर), 2005

2. इन्फोसान – यह एफएओ और डब्लूएचओ द्वारा सूचना विनिमय और सहयोग के लिए संयुक्त रूप से बनाया गया खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा नेटवर्क है।

3. कोडेक्स एलिमेन्टिअरी कमीशन – यह स्वास्थ्य संबंधी और पौष्टिक भोजन की गुणवत्ता (डब्ल्यूएचओ और एफएओ संयुक्त कार्यक्रम) से संबंधित वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर स्थापित वैश्विक मानक है ।

4. एचएसीसीपी या हजार्ड एनालिसिस क्रिटिकल कंट्रोल पॉइंट सिस्टम–यह एक प्रोसेस कंट्रोल सिस्टम है जो खाद्य उत्पादन प्रक्रिया में संभावित खतरों को पहचानता हैं और खतरों को होने से रोकने के लिए हरसंभव विकल्प बतलाता हैं।

5. गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज/ अच्छा निर्माण अभ्यास (जीएमपी) - यह सुरक्षित और पौष्टिक भोजन का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम सेनेटरी और प्रसंस्करण आवश्यकताओं को दर्शाता है।

6.‘फ़ूड रिकॉल’ - फ़ूड रिकॉल को आपूर्ति श्रृंखला से खाद्य पदार्थों (जो उपभोक्ताओं के लिए बिक्री, वितरण या उपभोग के दोरान सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकते है) को हटाने के लिए की गई कार्रवाई के रूप में परिभाषित किया जाता है । यह खाद्य श्रृंखला के किसी भी स्तर पर बाजार से खाद्य पदार्थों को हटा सकता है, भले ही खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं तक पहुच चूका  हो। शब्द "वापसी" का उपयोग व्यापक रूप से ‘फ़ूड रिकॉल’ के संबंध में किया जाता है।

7. ‘यूज़ बाय डेट’/ 'उपयोग-दर-दिनांक' (सुझाई गई अंतिम उपभोग की तारीख या समाप्ति की तिथि) – यह वह अनुमानित अवधि है जिसके उपरांत उत्पाद की गुणवत्ता या तो नष्ट हो जाती है या काफी कम हो जाती है। इसका मतलब यह है कि उत्पाद की गुणवत्ता एवं उपभोक्ता के लिए उसकी उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिए ‘यूज़ बाय डेट’ से पहले-पहले उत्पाद को प्रयोग में ले आना चाहिए।

8. एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण एवं खाद्य सुरक्षा/ वन हेल्थ एंड फूड़ सेफ्टी : खाद्य सुरक्षा के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण अपनाकर मानव और पशु चिकित्सा सहित वन्यजीव और जलीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी समुदायों के साथ पौधे रोग विज्ञान समुदायों सहित कई स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्रों से विशेषज्ञो और संसाधनों को एकीकृत कर उनके विचारो का समावेश करना एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण एवं खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत आता है (आईओएम, 2012)।

9. एफएसएसएआई : भारत में खाद्य पदार्थों की सुरक्षाऔर मानकों का निरीक्षण करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को 2006 में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत स्थापित किया गया था।

10.आईएसओ 22000 : आईएसओ 22000 एक मानक है जिसे खाद्य सुरक्षा के मानकीकरण के लिए गठित अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा विकसित किया गया है।

हर कदम पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय: 

A) नीति निर्माताओं द्वारा अनुसरण किये जाने वाले प्रयास -

I) पर्याप्त भोजन प्रणाली और बुनियादी ढांचे का निर्माण और रखरखाव

II)  बहु-क्षेत्रीय सहयोग एवं सह्कार्यता (विशेष रूप से पशुपालन  और कृषि क्षेत्रों में)

III) खाद्य सुरक्षा को व्यापक खाद्य नीतियों और कार्यक्रमों में एकीकृत करना (विशेष रूप से पोषण और खाद्य सुरक्षा)

IV) विश्व स्तर पर सोचें एवं स्थानीय रूप से कार्य करें - घरेलू स्तर पर निर्मित भोजन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा को सुनिश्चित करना 

B) खाद्य संचालकों और उपभोक्ताओं द्वारा अनुसरण किये जाने वाले प्रयास -

I) भोजन की पर्याप्त जानकारी एवं ख़राब भोजन द्वारा होने वाली आम बीमारियों की पर्याप्त सुचना रखें

II) डब्ल्यूएचओ द्वारा दी गयी पांच कुंजीयों  का अभ्यास करते हुए भोजन को सुरक्षित बनाएं

III) उपभोक्ता  खरीद हुई  सामग्री की जानकारी प्राप्त करने के लिए सामग्री के साथ लगे हुए लेबल को पढ़ें 

C) डब्लूएचओ द्वारा सुरक्षित भोजन के लिए दी गयी पांच कुंजियां (डब्ल्यूएचओ, 2015)-

1. खाद्य सामग्री की सफाई :

i) नल के पानी के साथ कच्चे फल और सब्जियां पूरी तरह धो लें

ii)हमेशा अपने हाथो एवं रसोई को साफ़ रखे, सब्जी काटने के लिए सब्जी काटने वाले बोर्ड का प्रयोग करे

2. पके हुए और कच्चे भोजन को अलग रखना :

i) कच्चे भोजन और खाने-पीने के लिए तैयार भोजन को मिलाये ना

ii) कच्चे मांस, मछली और कच्ची सब्जियां को भी साथ में न रखें

3. अच्छी तरह से पकाना :

i)मांस, मुर्गी, झींगा और समुद्री भोजन को अच्छी तरह से पकाए

ii) जब तक भोजन से गरम भाप ना आये भोजन को पाकते रहे 

4. सुरक्षित तापमान पर भोजन रखें:

i)पके हुए भोजन को दो घंटे के अंदर  फ्रिज में रख दे

ii)जमे हुए भोजन को डीफ्रास्ट करने के लिए कमरे के तापमान पर न रखे बल्कि रेफ्रिजरेटर या माइक्रोवेव का उपयोग करे 

5. सुरक्षित पानी और कच्चे खाद्य प्रदाथ का प्रयोग करें:

i) भोजन की तैयारी के लिए सुरक्षित पेयजल का उपयोग करें

ii) पैक किए गए भोजन को खरीदने के दौरान‘यूज़ बाय डेट’/'उपयोग-दर-दिनांक’और लेबल की जांच करें. 

निष्कर्ष

खाद्य सुरक्षा हर किसी के लिए चिंता का विषय है, ऐसा एक भी व्यक्ति मिलना मुश्किल हैं जिसे पिछले कुछ समय में एक बार भी  खाद्यजनित बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा हो। जहा एक तरफ कई भोजनजन्य बीमारियों का आपने आप निदान हो जाता ही वही कुछ बिमारियाँउपभोक्ता की मौत की वजह भी बन सकती हैं। पूरी दुनिया में सरकारें खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने के अपने प्रयासो को बल दे रही हैं ताकि भोजन की खपत के बाद कोई उपभोक्ता किसी संक्रमण / बीमारी का अनुभव न करें। खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है जो मानव स्वास्थ्य और आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। खाद्य सुरक्षा का प्राथमिक उद्देश्य सुरक्षित और अच्छी गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों को उपभोक्ता तक पंहुचा कर सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। भोजन की सुरक्षा को खाद्य सुरक्षा और खाद्य गुणवत्ता कार्यक्रमों में विकसित करके खाद्य उद्योग को नियंत्रित किया जा सकता है। खाद्य प्रणाली में उपभोक्ता के विश्वास को बनाए रखने और भोजन को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए एक ठोस नियामक नींव प्रदान करने के लिए एक प्रभावी खाद्य सुरक्षा व्यवस्था की आज के समय में आवश्यकता है। खाद्य सुरक्षा और उसे होने वाले संक्रामक रोगों से जुड़े जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण आवश्यक है। खाद्य सुरक्षा के लिए पर्यावरण, मानव, पशु और पौधों के विशेषज्ञों को एक मंच पे लाने की पहल सराहनीय एवं चुनोतिपूर्ण है ।

वास्तविक बहुआयामी और एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वास्तविक संगठनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है। कई विकासशील देशों में खाद्य सुरक्षा प्रणाली अन्य विकसित देशों की तरह संगठित और विकसित नहीं होती है। इसलिए, विकासशील देशों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा नीति के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा परिषद की स्थापना शुरू करनी चाहिए। इसके अलावा, सभी खाद्य उद्योगों को जीएमपी, जीएचपी और एचएसीसीपी को लागू करना चाहिए। अंततः यह निष्कर्ष निकालता है कि सार्वजनिक शिक्षा और सूक्ष्मजैविक खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता को  वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने की आवश्यकता है एवं खाद्य सामग्री  को उत्पादन, खरीद, संरक्षण से लेकर उपभोक्ताओं द्वारा भोजन के रूप में सेवन करने तक हर पड़ाव पर गुड्कारी एवं स्वछ बनाये रखने का हरसंभव प्रयत्न करने की जरुरत है। इसलिए, अक्सर यह कहा जाता है कि "खाद्य सुरक्षा को बनाये रखना खाद्य श्रृंखला में शामिल सभी की जिम्मेदारी है।" 

संदर्भ/ References

  1. IOM 2012. Addressing foodborne threats to health. The National Academies Press, Washington, DC., USA.
  2. Pal, M. 2013. Food safety is becoming a global public health concern.The Ethiopian Herald. February01, 2013, P.8.
  3. Pal, M., Gerbaba, T., Abera, F., Kumar, A. and Kumar, P. 2015. Impact of Food Safety on One Health. Beverage and Food World. 42. 21-25.
  4. World Health Organization. 2015. Regional office, for South-East Asia.http://www.searo.who.int/en/

अन्नदा दास1, प्रज्ञा जोशी2 और कौशिक सत्यप्रकाश2

1पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता,2भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरैली

 

English Summary: Food Security: An Emerging Needs Published on: 06 March 2018, 10:35 IST

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