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पहली बार लांच हुआ फसल अवशेष जलाने का समाधान...

किसानों द्वारा धान के बचे हुए अवशेष को जलाने पर राष्ट्रीय राजधानी में हुए प्रदूषण के कारण आस-पास के क्षेत्रों में काफी परेशानी झेलनी पड़ी. इसके लिए कहीं किसानों को कोसा गया तो कही सरकार को लेकिन अपने आप को जिम्मेदार मानने से सब पीछे हटने लगे. इसके लिए हमें भी उतने ही जिम्मेदार जितने की किसान

किसानों द्वारा धान के बचे हुए अवशेष को जलाने पर राष्ट्रीय राजधानी में हुए प्रदूषण के कारण आस-पास के क्षेत्रों में काफी परेशानी झेलनी पड़ी. इसके लिए कहीं किसानों को कोसा गया तो कही सरकार को लेकिन अपने आप को जिम्मेदार मानने से सब पीछे हटने लगे. इसके लिए हमें भी उतने ही जिम्मेदार जितने की किसान. ऐसी ही कुछ अपनी जिम्मेदारी समझते हुए संपूर्ण एग्री वेंचरस लिमिटेड ने इस समस्या से निजात पाने का हल ढूंढ लिया है. संपूर्ण एग्री वेंचर लिमिटेड ने एशिया के पहले ऐसे प्लांट को स्थापित किया है जिसके माध्यम से पराली से बायोगैस बनाकर फसल अवशेष जलाने की समस्या से पूरी तरह से निजात मिल जाएगी.

कंपनी के प्रबंध निदेशक संजीव नागपाल ने बताया यह तकनीक पूरी तरह से भारत में तैयार की गयी है. इस तकनीक के अंतर्गत धान के अवशेष से बायोगैस बिजली, सीएनजी और जैविक उर्वरक का उत्पादन किया जाना संभव है. संपूर्ण एग्री वेंचर ने इस तकनीक पर काम करते हुए फजलिका में इसके प्लांट को स्थापित किया है . क्योंकि फसल अवशेष को जलाने जैसी समस्या पूरे देश की परेशानी है. कंपनी के डायरेक्टर ने बताया कि फसल के अवशेष को न जलाकर उसके द्वारा बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. जिससे की किसान को आमदनी का एक और जरिया भी मिल जायेगा. संजीव नागपाल ने बताया कि 10 टन भूसे से 4000 घनमीटर तक प्रतिदिन बायोगैस उत्पन्न की जा सकती है है जिससे की 1 मेगावाट पॉवर उत्पन्न होती है.

इससे टिकाऊ उर्जा उत्पन्न होती है. इसी के साथ इससे जैव उर्वरक भी मिलता है जिसका इस्तेमाल फिर से खेत में किया जा सकता है. यह जैव उर्वरक खेत की मिटटी को जरुरी पोषक तत्व प्रदान करता है. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना है. संजीव नागपाल ने कहा कि इस परियोजना को पूरे देश में फ़ैलाने की योजना है, फिलहाल कंपनी पंजाब और हरियाणा में इस परियोजना पर ज्यादा ध्यान दे रही है. कंपनी ने अपने पहले चरण में 42 प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत कंपनी हर एक जिले में 2 प्रोजेक्ट को पूरा करेगी. पंजाब राज्य के लिए इसमें 3000 करोड़ के निवेश की जरुरत है. इसके लिए कंपनी ने पंजाब सरकार से भी बात करना शुरू कर दिया है. इस निवेश में सीएनजी वितरण के लिए बुनियादी ढांचा भी शामिल है.

इस परियोजना में प्रतिदिन 70 टन धान के तिनको को प्रोसेस किया जायेगा. इस परियोजना की ख़ास बात यह है कि इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. साथ ही साथ किसानों को इससे फायदा मिलेगा क्योंकि इससे बनने वाले जैविक उर्वरक से किसानों कृषि लागत कम हो जाएगी. इससे 3.5 लाख लोगो के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

कंपनी के डायरेक्टर समीर नागपाल ने बताया कि हम इसके लिए इन्वेस्टर्स को आमंत्रित करते है क्योंकि इस  परियोजना को बड़े पैमाने पर ले जाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है. यह एक ऐसी परियोजना जिसको देश में बड़े लेवल पर ले जाने की आवश्यकता है. इससे किसानों को भी फायदा होगा और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. समीर नागपाल ने कहा कि इस पर सरकार को भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस तकनीक के माध्यम से कैसे एक बड़ी समस्या से निपटा जा सकता है किसानों को लाभ पहुँचाया जा सकता है.

English Summary: Solution for the first time harvested crop residue ... Published on: 21 November 2017, 07:20 AM IST

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