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154 साल बाद चाय को मिली अपनी पहचान

सुबह-सुबह चुस्की लेकर चाय पीना किसे पसंद नहीं होता। आपको भी होगा! लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि चाय की भी अपनी पहचान होती है।

सुबह-सुबह चुस्की लेकर चाय पीना किसे पसंद नहीं होता। आपको भी होगा! लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि चाय की भी अपनी पहचान होती है। शायद नहीं! यह सच है कि प्रत्येक देश में उगाई जाने वाली चाय की अपनी अलग पहचान होती है जिसे अधिप्रमाणित कर एक लोगो दिया जाता है और फिर वो उसी नाम व ब्राण्ड से बेची जाती है।

अब आप ये सोच रहे होंगे कि हम आपको यह सब क्यों बता रहे हैं। दरअसल भारत में मिलने वाली चाय का अपना पेटेंट है। वहीं भारत से लगे देश नेपाल में भी चाय के बागान बहुतायात में हैं लेकिन भारत में यह दार्जलिंग के लोगो का इस्तेमाल कर बेची जाती है। इसे अपनी पहचान देने के लिए नेपाल चाय व कॉफी विकास बोर्ड ने अपने कदम बढ़ाते हुए इसे अपना ट्रेडमार्क दिया है जिससे नेपाल के चाय निर्यातकों को अब विदेशों में चाय बेचने के लिए दार्जलिंग (भारतीय ट्रेडमार्क) के लोगो या ट्रेडमार्क का इस्तेमाल नहीं करना होगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार हिमालयी देश में चाय की खेती शुरू होने के 154 साल बाद इसे अपनी पहचान मिली है। हिमालयन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार नेपाल चाय व कॉफी विकास बोर्ड के प्रयासों से नेपाल को खुद का ट्रेडमार्क मिल गया है। आपको बता दें कि अब तक यह नेपाली पारंपरिक चाय निर्यात के समय दार्जलिंग, भारत के लोगो का इस्तेमाल कर बेची जाती थी।

ज्ञात रहे कि नेपाल में चाय की कई किस्मों का उत्पादन होता है जो अपने अरोमा व स्वाद के लिए जानी जाती है। दिखने में बिल्कुल दार्जलिंग चाय जैसी इस नेपाली चाय का लोगो कृषि मंत्रालय ने हिमालय चाय उत्पादक एसोसिएशन व कॉफी विकास बोर्ड की मदद से तैयार किया है।

English Summary: Tea gained recognition after 154 years Published on: 06 February 2018, 11:45 PM IST

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